कुरान ||होली कुरान ||meaning ||of Quran ||Quran in English

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Quran Kya Hai ||What is Quran ? & History in Hindi||Quran Kaha se aya

कुरान

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيْم
اَلْحَمْدُ لِلّهِ رَبِّ الْعَالَمِيْن،وَالصَّلاۃ وَالسَّلامُ عَلَی النَّبِیِّ الْکَرِيم وَعَلیٰ آله وَاَصْحَابه اَجْمَعِيْن

अस्सलाम वालेकुम व रहमतुल्ला Quran मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते आला jibreel alaihis Salam द्वारा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो ताला वसल्लम को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च यानी सबसे बेहतर किताब हैकुरान शब्द कुरान में लगभग 70 बार प्रकट होता है, जो विभिन्न अर्थों को मानता है। यह अरबी क्रिया क़रा (قرأ) का एक मौखिक संज्ञा (मसदर) है, जिसका अर्थ है “वह पढ़ता है”।

Holy Quran in English

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अल्लाह ताला की वह एक paak किताब है जो अल्लाह तबारक व ताला ne अपने हबीब मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम पर नाजिल फरमाया कुरान में 6666 आयते हैं 114 surh hai Quran Ki Surah को मक्की या मदनी सूरत कहकर भी पुकारा जाता है मक्की Surah who होती है जो हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम पर मक्का में नाजिल हुई और मदनी सूरत वह होती है जो उर्दू सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम पर मदीने में नाजिल हुई

कुरान के जैसी कोई दूसरी किताब कहीं नहीं न दुनिया में ना आसमान पर अल्लाह ताला की चार किताबें हैं जिसमें कुरान का मुकाबला कोई किताब नहीं कर सकती कुरान लगभग 1400 साल पहले नाजिल हुआ “क़ुरआन” शब्द का पहला ज़िक्र ख़ुद क़ुरआन में ही मिलता है जहाँ इसका अर्थ है – उसने पढ़ा, या उसने उचारा।

इसके अलावे भी क़ुरआन के कई नाम हैं। इसे अल फ़ुरक़ान(कसौटी), अल हिक्मः (बुद्धिमता), धिक्र/ज़िक्र (याद) और मशहफ़ (लिखा हुआ) जैसे नामों से भी संबोधित किया गया है। क़ुरआन में अल्लाह ने 25 Ambiya का ज़िक्र किया है।कुरान शब्द कुरान में लगभग 70 बार प्रकट होता है,

कुरान खुद को “समझदारी” (अल-फ़ुरकान), “ग्रंथो की माँ” (उम अल-किताब), “गाइड” (हुदा), “ज्ञान” (हिकमा), “याद” (ज़िक्र) के रूप में बताता है ।

कुरान की आखिरी आयत Sal 10वीं हिजरी में धू अल-हिजजाह के इस्लामी महीने के 18 वीं तारीख़ को नाजिल हुई थी, जो एक तारीख है जो मोटे तौर पर फरवरी या मार्च 632 से मेल खाती है । हुजूर सल्लल्लाहो ताला ने वाले वसल्लम ने गदीर ए खुम्म में अपना खुतबा देने के बाद यह खुलासा किया था।

1-अल्लाह के नाम से जो अत्यन्त कुपाशील तथा दयावान है।

2-सब प्रशंसाये अल्लाह के लिये है, जो सारे संसार का पालनहार है।

3- जो अत्यन्त कुपाशील और दयावान है।

4-जो प्रतिकार (बदले) के दिन का मालिक है।

5- (हे अल्लाह !) हम केवल तुझी को पूजते है और केवल तुझी से सहायता मांगते है।

6- हमे सुपथ (सीधा मार्ग) दिखा

7-उन का मार्ग जिन पर तू ने पुरस्कार किया  उन का नहीं जिन पर तेरा प्रकोप हुआ, और न ही उन का जो कुपथ (गुमराह) हो गये।

इस सुरह के अर्थो पर विचार किया जाये तो इस में और कुरान के शेष भागो मे सक्षेप तथा विस्तार जैसा संबंध है। अर्थात कुरान की सभी सूरतों में कुरान के जो लक्ष्य विस्तार के साथ बताये गये सूरह फातिहामें उन्ही को साक्षिप्त रूप में बताया गया है। यदि कोई मात्र इसी सूरह के अर्था को समझ ले तो भी वह सत्य धर्म तथा अल्लाह की इबादत (पूजा) के मूल लक्ष्यो को जान सकता है। और यही पूरे कुरान के विवरण का निचोड़ है।

सूरह फातिहा का हिंदी अनुवाद मीनिंग ऑफ सूरह फातिहा इन हिंदी

1-अल्लाह के विशेष गुणो की शुद्ध कल्पना।

2-प्रतिफल के नियम का विश्वास। अर्थात जिस प्रकार संसार की प्रत्येक वस्तु का एक स्वाभाविक प्रभाव होता है इसी प्रकार कर्मो के भी प्रभाव और प्रतिफल होते है। अर्थात सुकर्म का शुभ और कुकर्म का अशुभ फल।

3-मरने के पश्चात आखिरत मे जीवन का विश्वास। की मनुष्य का जीवन इसी संसार मे समाप्त नहीं हो जाता। बल्कि इस के पश्चात भी एक जीवन है।

4-कर्मो के प्रतिकार(बदले) का विश्वास।

यह सूरह मक्की है, इसमें सात आयते है।

यह सूरह आरंभिक युग मे मक्का मे उतरी है, जो कुरान की भूमिका के समान है। इसी कारण इस का नाम ((सुरहा फातिहा)) अर्थात: “आरंभिक सूरह “है। इस का चमत्कार यह है की इस की सात आयतों में पूरे कुरान का सारांश रख दिया गया है। और इस मे कुरान के मौलिक संदेश तोहिद रिसालत के विषय को संक्षेप मे समो दिया गया है। इस मे अल्लाह की दया, उस के पालक तथा पूज्य होने के गुणों को वर्णित किया गया है।

इस सुरह के अर्थो पर विचार करने से बहुत से तथ्य उजागर हो जाते है| और ऐसा प्रतीत होता है की सागर को गागर मे बंद कर दिया गया है।

इस सुरह में अल्लाह के गुण–गान तथा उस से पार्थना करने की शिक्षा दी गई है की अल्लाह की सराहना और प्रशंशा किन शब्दो से की जाये। इसी प्रकार इस मे बंदो को न केवल वंदना की शिक्षा दी गई है बल्कि उन्हें जीवन यापन के गुण भी बताये गये है।

अल्लाह ने इस से पहले बहुत से समुदायो को सुपथ दिखाया किन्तु उन्होंने कुपथ को अपना लिया, और इस मे उसी कुपथ के अंधेरे से निकलने की दुआ है। बंदा अल्लाह से मार्ग–दर्शन के लिये दुआ (पार्थना) करता है तो अल्लाह उस के आगे पूरा कुरान रख देता है की यह सीधी राह है जिसे तू खोज रहा है। अब मेरा नाम लेकर इस राह पर चल पड़।

सूरह फतिहा की शिक्षा :

सुरह फातिहा एक प्रार्थना है। यदि किसी के दिल तथा मुख से रात दिन यही दुआ निकलती हो तो ऐसी दशा में उस के विचार तथा अकीदे (आस्था ) की क्या स्तिथी हो सकती है ? वह अल्लाह की सराहना है, परन्तु उस की नहीं जो वर्णो, जातियो तथा धार्मिक दलों का पूज्य है। बल्कि उस की जो सम्पूर्ण विश्व का पालनहार है। इस लिये वह पूरी मानव जाति का समान रूप से प्रतिपालक तथा सब के लिये दयालु है।

फिर उस के गुणो में से दया और न्याय के गुणो ही को याद करता है। मानो अल्लाह उस के लिये सर्वथा दयाऔर न्याय है फिर वह उसके सामने अपना सिर झुका देता है और अपने भक्त होने का इकरार करता है। वह करता है : (हे अल्लाह !) मात्र तेरे ही आगे भक्ति और विनय के लिये सिर झुक सकता है। और मात्र तू ही हमारी विवशता और आवश्यकता में सहायता का सहारा है। वह अपनी पूजा तथा प्रार्थना दोनों को एक के साथ जोड़ देता है। और इस प्रकार सभी सांसारिक शक्तियो और मानवी आदेशो से निशिचन्त हो जाता है। अब किसी के द्धार पर उस का सिर नहीं झुक सकता। अब वह सब से निर्भय है। किसी के आगे अपनी विनय का हाथ नहीं फैला सकता। फिर वह अल्लाह से सिधी राह पर चलने की प्रार्थना करता है

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इसी प्रकार वह वंचना और गुमराही से शरण (बचाब ) की मांग करता है। मानव की विश्व व्यापी बुराई से, वर्ग तथा देश और धार्मिक दलों के भेद भाव से ताकि विभेद का कोई धब्बा भी उसके दिल मे न रहे। यही वह इंसान है जीस के निर्माण के लिये कुरान आया है

(देखिये: “उम्मुल किताब – मौलाना अबुल कलाम आजाद )

इस सूरह की प्रधानता :

इब्ने अब्बास (रजियल्लहु अन्हुमा) से वर्णित है कि जिब्रईल फारिश्ता (अलैहिस्सलाम ) नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास थे कि आकाश से एक कड़ी आवाज सुनाई दी। जिब्रईल ने सिर ऊपर उठाया , और कहा: यह आकाश का द्वार आज ही खोला गया है। आज से पहले यह कभी नहीं खुला। फिर उस से एक फरिश्ता उतरा। और कहा कि यह फारिश्ता धरती पर पहली बार उतरा है। फिर उस फरिश्ते ने सलाम किया , और कहा : आप दो “ज्योति“ से प्रसन्न हो जाइये, जो आपसे पहले किसी नबी को नहीं दी गयी: “फ़ातिहतुल किताब” (अर्थात : सूरह फतिहा ) , और सूरह “बकर” कि अन्तिम आयते। आप इन दोनों का कोई भी शब्द पढ़ेंगे तो उस में जो भी है वह आप को प्रदान किया जायगा। (सहिह मुस्लिम, 806)

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और सहिह हदीस में है कि आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन”, “सब्ब  मसानी” (अर्थात सूरह फातिहा) , और महा कुरान है। जो विशेष रूप से मुझे प्रदान कि गई है। (सहीह बुखारी, 4474)।

इसी कारण हदीस में आया है कि जो सूरह फातिहा ना पढे उस की नमाज़ नहीं होती ( बुखारी -756,  मुस्लिम – 394 )

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Aap ko internet par bahut sari Aisi website Mil Jayega Jiska jhariya aap ko download kar sakte hain aur apne mobile se padh sakte hain पहले जमाने में कुरान जानवरों की खाल पर पत्थरों पर उनकी हड्डियों पर लिखा जाता था फिर वक्त के साथ उसने एक किताब की शक्ति मिली फिर कुरान एक मुकम्मल किताब बन गया और वक्त के साथ आज कुरान मोबाइल में कंप्यूटर में लैपटॉप में पढ़ा जा रहा है .

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Allah Hafiz Dua mein yaad rakhiyega

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