क्या कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी की मर्जी के बिना दूसरी शादी कर सकता है या नहीं
क्या मुस्लिम समाज का कोई पुरुष अपनी पहली पत्नी की मर्जी के बगैर दूसरी शादी कर सकता है? क्या भारतीय दंड संहिता के मुताबिक यह दो पत्नियां रखने का अपराध नहीं माना जाएगा?
क्या कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी की मर्जी के बिना दूसरी शादी कर सकता है या नहीं
मुस्लिम पुरुष की पूरी जिम्मेवारी है कि वह अपनी बीवी के सभी हुकूक अदा करें मुस्लिम पुरुष को और जाति के पुरुषों के मुकाबले बीवी के हक अदा करने की हुकुम अल्लाह ताला ने दिया है जो बात मुस्लिम पुरुष को समझनी होगी और अपनी बीवी के हक अदा करने होंगे दूसरी शादी करना पहली बीवी को मारना पीटना शरीयत इस बात की इजाजत नहीं देती मुस्लिम पुरुष को अपनी हद जानी होगी और अपनी बीवी की इजाजत के बिना उसके सभी हद पूरी किए बिना शादी नहीं करनी चाहिए बीवी को तो बिल्कुल भी मारना पीटना नहीं चाहिए उसको प्यार से रखना और उसके सारे आफ राजा पूरे करना यह मुस्लिम पुरुष की जिम्मेवारी है।
इस्लाम में एक मर्द सात शादियां कर सकता है
इस्लाम के मुताबिक एक मर्द सात शादियां कर सकता है बशर्ते वह पहली बीवी की इजाजत लेगा और अपनी पहली बीवियों के हर जरूरी खर्च को पूरा करेगा और उनको अपनी अपनी जगह अपने अपने सारे हक अदा करेगा सात शादियां करने का मकसद इस्लाम में इसलिए है जिससे ज्यादा औलादे हूं और इस्लाम ज्यादा से ज्यादा पहले आज के नौजवान इसे गलत राह पर ले रहे हैं शादियां करना जरूरी नहीं अगर तुम पहली बीवी के Haq पूरे नहीं कर पा रहे।
एक लड़की अपने मां बाप भाई बहन रिश्तेदारों और सभी प्यार करने वालों को छोड़कर अपने पति के घर आती है उसको अपने शहर का ही सहारा है अगर शौहर उसे मारेगा पिटेगा तो वह बेचारी कहां जाएगी यह उसका हक है कि उसे ससुराल में हर जरूरत का सामान प्यार सम्मान इज्जत दी जाए वह कोई नौकरानी नहीं उसे पूरी इज्जत का हक है कुछ लोग बीवी को बिल्कुल भी इज्जत नहीं देते और उसके साथ मारपीट दंगे फसाद करते हैं कुछ लोग तो उससे डिमांड भी करते हैं के मायके से कार लेकर आओ या पैसा लेकर आओ जो सरासर गलत है इस्लाम में इसकी बिल्कुल मना दी है.
Quran shareef ||surah yusuf ||quran shareef in english trancletion
ऐसे लोग अल्लाह को बिल्कुल पसंद नहीं जो अपनी बीवियों पर जुल्म करें अल्लाह ताला ने इरशाद फरमाया के तुम्हारी बीवी तुम्हारा लिबास है और तुम अपनी बीवी का लिबास हो
और बीवी के बेहद हक बताए हैं सबसे पहला हक हक के मेहर है और दूसरा हक के घर में उसकी इज्जत है और बाकी जो वह अपने घर में जिस तरीके से रहती थी उसे वैसे ही सारा सामान मुहैया करा कर देना शहर की जिम्मेवारी है उसके हर सुख दुख में शोहर को उसका साथ देना चाहिए उसकी इजाजत के बगैर दूसरी शादी नहीं करना चाहिए आगे पढ़िए एक मुसलमान ने अपनी बीवी को बिना बताए दूसरी शादी की और मुकदमा कोर्ट में चल रहा है.
(तफसीर)
एक मुस्लिम पुरुष की निजी जिंदगी की कहानी
नई दिल्ली: क्या मुस्लिम समाज का कोई पुरुष अपनी पहली पत्नी की मर्जी के बगैर दूसरी शादी कर सकता है? क्या भारतीय दंड संहिता के मुताबिक यह दो पत्नियां रखने का अपराध नहीं माना जाएगा?
मर्चेंट की पत्नी साजिदा बानू वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपने ससुराल से वापस मायके लौट गई थीं। मर्चेंट ने वर्ष 2003 में साजिदा की मर्जी के बगैर दूसरी शादी कर ली। एक साल बाद साजिदा ने मर्चेंट के खिलाफ 2 पत्नियां रखने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई।
उसकी इस दलील के खिलाफ साजिदा बानू के वकील ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक पुरुष को अपनी सभी पत्नियों के साथ समान न्याय का बर्ताव करना चाहिए, लेकिन मर्चेंट ने अपनी पहली पत्नी की सहमति के बिना ही दूसरी शादी कर ली। इस तरह उसने ना सिफ मुस्लिम पर्सनल लॉ को तोड़ा, बल्कि अपनी पत्नी के साथ गलत बर्ताव भी किया। इन्हीं आरोपों को आधार बनाकर साजिया बानू के वकील ने अदालत में कहा कि मर्चेंट को आईपीसी के तहत अपराध की सजा मिलनी चाहिए।
दुरूद ए ताज हिंदी में|| दुरूद ए ताज अरबी में|| Darood e Taj in English translation
मुसलमान मर्द को हमेशा अपनी बीवी की इज्जत करनी चाहिए हमारे प्यारे आका सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की शादी आलीशान है कि अपनी बीवियों को इज्जत और प्यार दिया करो यह बेचारी अपने घरों और रिश्तेदारों और प्यारों को छोड़कर सिर्फ तुम्हारे लिए आ जाती हैं और तुम्हारे प्यार की मौत आज है उन्हें तुमसे प्यार मोहब्बत चाहिए अपनी बीवियों के साथ हुस्ने सुलूक से पेश आया करो।
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( इस्लमिक नीलोफर आजहरी)
Nice