दरगाह-ए-अला हज़रत | कैसे पहुंचें| Bareilly |india|बरेली की शान आला हजरत
दरगाह-ए-अला हज़रत, बरेली, उत्तर प्रदेश के जिले में करोलन में स्थित है आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी के उर्स को लेकर बरेली नगरी रजा के रंग में रंग गई है।
दरगाह-ए-अला हज़रत | कैसे पहुंचें| Bareilly |india|बरेली की शान आला हजरत
दरगाह-ए-अला हज़रत( इमाम अहमद रजा )
आला हज़रत ने पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान को घटाने वालो का खुलकर विरोध किय .उन्हें दरगाह-ए-अला हजरत में दफनाया गया था जो वार्षिक उर्स-ए-रजावी के लिए साइट को चिह्नित करता है।
आला हजरत उर्स का हुआ ऐलान, 23 अक्टूबर को परचम कुशाई|| उर्स का पूरा टाइम टेबल
आला हजरत को आज कौन नहीं जानता हर धर्म का इंसान आला हजरत को जानता है जिनका पूरा नाम इमाम अहमद रजा है.
इमाम अहमद रजा अपने वक्त के मशहूर तालीम याफ्ता सच्चे पक्के आशिक ए रसूल और सुन्नतों पर अमल करने वाले उनकी जिंदगी अल्लाह के बताए हुए रास्तों पर ही गुजरी आपने कभी कोई ऐसा काम नहीं किया जिसकी शरीयत ने इजाजत ना दी हो.
दरगाह-ए-अला हज़रत
दरगाह-ए-आला-हजरत ही वह धार्मिक स्थान है जिसने बरेली को विश्व विख्यात बनाया है। शहर के सौदागरन मोहल्ले की तंग गलियों में स्थित इस धार्मिक स्थल को मुस्लिम सन्त और विद्वान आलाहजरत इमाम अहमद रज़ा ख़ान की याद में बनवाया गया था।
इस महान विद्वान को आलाहजरत अर्थात महान विद्वान व्यक्ति की उपाधि इसलिये दी गई थी क्योंकि वे ज्ञानी और साहित्यिक दुनिया के चमकते सितारे थे। वे मुस्लिम धर्म के जानकार थे।
आला हजरत की वजह से ही बरेली को बरेली शरीफ के नाम से पुकारा जाने लगा उन्होंने यहाँ पर इस्लामिक ज्ञान केन्द्र की स्थापना की और यह विश्व के लोगों के लिये तीर्थस्थल बन गया। लोग भारी संख्या में उर्दू, अरबी, और फारसी भाषाओं में उनके महान साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन करने आते हैं।
इस महान विद्वान द्वारा रचित सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है फतवा राजाविया। यह 12 भागों में 12000 पृष्ठों में लिखी है। यह मुस्लिमों द्वारा जीवन की सामान्य दिनचर्या में आने वाली धार्मिक एवं लौकिक समस्याओं का हल उपलब्ध कराती है
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दरगाह-ए-अला हज़रत कैसे पहुंचें:
वायु मार्ग
बरेली से सबसे नजदीक हवाई अड्डा पंतनगर है | यह बरेली से मात्र 40 किमी. दूर है | बरेली में सिविल हवाई अड्डा निर्माणाधीन है |
ट्रेन द्वारा
बरेली देश के मुख्य शहरो से उत्तर-रेलवे तथा उत्तर-पूर्व रेलवे नेटवर्क से जुड़ा है | दरगाह बरेली के प्रमुख उत्तर रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूर है | यहाँ पहुचने के लिए टैक्सी तथा ऑटो इत्यादि की सुविधाए है |
सड़क के द्वारा
बरेली राष्ट्रीय मार्ग 24 पर स्थित होने के साथ साथ मुख्य शहरो जैसे आगरा, लखनऊ, दिल्ली, नैनीताल आदि से सीधे संपर्क से जुड़ा है | दरगाह सॅटॅलाइट बस स्टैंड से 10 किमी दूर है | यहाँ पहुचने के लिए टैक्सी तथा ऑटो इत्यादि की सुविधा है
और वैसे भी जब आप बरेली में दाखिल होंगे तो किसी बच्चे से भी पूछेंगे या रिक्शेवाले को बोलेंगे तो वह आfपको सीधा आला हजरत दरगाह पर ही पहुंचाएगा इंशा अल्लाह चौकी आला हजरत बरेली की शान है और उन्हें यहां का बच्चा-बच्चा जानता है .
14 जून सन् 1856 में जन्में इस महान विद्वान को आलाहजरत अर्थात महान विद्वान व्यक्ति की उपाधि इसलिये दी गई थी क्योंकि वे ज्ञानी और साहित्यिक दुनिया के चमकते सितारे थे। वे मुस्लिम धर्म के जानकार थे।
उन्होंने यहाँ पर इस्लामिक ज्ञान केन्द्र की स्थापना की और यह विश्व के लोगों के लिये तीर्थस्थल बन गया। लोग भारी संख्या में उर्दू, अरबी, और फारसी भाषाओं में उनके महान साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन करने आते हैं।
दरूद शरीफ की फजीलत हिंदी||दरूद शरीफ दुआ हिंदी
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