bakra eid kab ki hai|| Bakra eid date||bakra eid about

2293
Bakra eid kab ki hai
bakra eid kab ki hai|| Bakra eid date||bakra eid about

bakra eid kab ki hai   Bakra eid date,bakra eid about,bakra eid video,bakra eid ki qurbani,bakra eid bakra eid mubarak,bakra eid bakra cutting.

Bakra eid kab ki hai

Bakra eid kab ki hai
bakra eid kab ki hai|| Bakra eid date||bakra eid about

Assalamoalikum warhamatullahi wawarakatuhu ईद-उल-जुहा (बकरीद) (अरबी में عید الاضحیٰ जिसका मतलब क़ुरबानी की ईद)hai
Bakra eid musalmano एक प्रमुख त्यौहार है। ise sabhi musalman apas me mil jhulkar manate hai रमजान के paak(पवित्र )महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने Bete (son) पुत्र हज़रत इस्माइल a.s को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके (son) पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह (fastival)पर्व मनाया जाता है।

Meaning|| of inshaallah|| in Hindi || English

इस शब्द का बकरों से कोई संबंध नहीं है। न ही यह उर्दू का शब्द है। असल में अरबी में ‘बक़र’ का अर्थ है बड़ा जानवर जो जि़बह किया (काटा) जाता है। उसी से बिगड़कर आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसे ‘बकरा ईद’ बोलते हैं। ईद-ए-कुर्बां का मतलब है बलिदान की भावना। अरबी में ‘क़र्ब’ नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं मतलब इस मौके पर. ALLAH इंसान के बहुत करीब हो जाता है। कुर्बानी उस JANWAR (पशु )के जि़बह करने को कहते हैं जिसे 10, 11, 12 या 13 जि़लहिज्ज (हज का महीना) को खुदा को खुश करने के लिए ज़िबिह किया जाता है। कुरान में लिखा है : हमने तुम्हें हौज़-ए-क़ौसा(HOZ -E-KOSAR) दिया तो तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो।

ईद उल अजहा का त्यौहार हिजरी के आखिरी महीने जुल हिज्ज में मनाया जाता है। पूरी दुनिया के मुसलमान इस महीने में मक्का me jama hokar haj ke arkaan ada karte hai .

ईद उल अजहा भी इसी दिन मनाई जाती है। वास्तव में यह हज की एक अंशीय अदायगी और मुसलमानों के भाव का दिन है। दुनिया भर के मुसलमानों का एक समूह मक्का में हज करता है बाकी मुसलमानों के अंतरराष्ट्रीय भाव का दिन बन जाता है। ईद उल अजहा का अक्षरश: अर्थ त्याग वाली ईद है इस दिन जानवर की कुर्बानी देना एक प्रकार की प्रतीकात्मक कुर्बानी है।

हज और उसके साथ जुड़ी हुई पद्धति हजरत इब्राहीम और उनके परिवार द्वारा किए गए kaamo (कार्यों) को दोहराने का नाम है। हजरत इब्राहीमके a.s परिवार में उनकी पत्नी हाजरा और bete इस्माइल a.s थे। मान्यता है कि हजरत इब्राहीम ने एक (khoab) sapna स्वप्न देखा था जिसमें वह अपने bete इस्माइल की कुर्बानी दे रहे थे हजरत इब्राहीम अपने दस saal (वर्षीय )bete( पुत्र) इस्माइल को khuda (ईश्वर की राह पर कुर्बान करने निकल पड़े।

1-bakra eid kab ki hai 

इस्लाम के सबसे (पवित्र) paak र्त्योहार ईद उल अजहा यानी बकरीद इस साल अगस्त महीने की 11 या 12 तारीख को मनाई जाएगी. बकरा ईद के इस मौके पर खुदा की इबादत में बकरा Bhains Oot अथवा भेड़ की कुर्बानी दी जाती है.

बाइबिल क्या है? Bible ka महत्व, इतिहास What is Bible? Importance & History in Hindi

. भारत में इस्लाम का बड़ा त्योहार ईद उल अजहा बकरीद 11 या 12 अगस्त को मनाया जाएगा. बकरा ईद मुस्लिम समुदाय के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक होता है जिस दिन अल्लाह की इबादत में बकर अथवा भेड़ की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी की शुरुआत सुबह ईद की नमाज पढ़ने के बाद होती है. कुर्बानी का गोश्त गरीब लोगों में तकसीम किया जाता है. इस्लाम में इस दिन को फर्ज एक कुर्बान कहा गया है जो इस्लामिक कैलेंडर के जुल हिज्जाह महीने के 10वें दिन ईद उल अजहा के रूप में मनाया जाता है.

Bakra eid kab ki h
bakra eid kab ki hai|| Bakra eid date||bakra eid about

bakra eid kab ki hai|| Bakra eid date||bakra eid about

*-क्या है ईद उल अजहा (बकरीद) का इतिहास

ईद उल अजहा मनाने के पीछे इस्लाम एक कहानी बताई गई है. कहानी के अनुसार, हजरत इब्राहिम अलैय सलाम के कोई संतान नहीं थी. उन्होंने अल्लाह से औलाद की मांग की. काफी मन्नतों के बाद इब्राहिम अलैय सलाम के घर एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम स्माइल रखा गया. इब्राहिम अलैय सलाम अपने बेटे स्माइल को जान से ज्यादा चाहते थे.

 

*-बेटे स्माइल की कुर्बानी के लिए तैयार हो गए थे हजरत इब्राहिम

सोते समय एक रात इब्राहिम अलैय सलाम को सपना (ख्वाब) आया जिसमें अल्लाह ने इब्राहिम अलैय सलाम से उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी. हजरत इब्राहिम को अपना बेटा स्माइल सबसे प्यारा था. लेकिन अल्लाह का हुक्म न मानना भी उनके लिए मुमकिन नहीं था. ऐसे में हजरत इब्राहिम अपने बेटे स्माइल की कुर्बानी के लिए तैयार हो गए. दुख न हो इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली.

हालांकि, जब हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम बेटे स्माइल की कुर्बानी देने लगे तो अचानक किसी फरिश्ते ने छुरी के नीते स्माइल को हटाकर एक दूंबे (भेड़) को आगे कर दिया. जैसे ही हजरत इब्राहिम ने आंखें खोली तो बेटे स्माइल को सामने पाया. जिसके बाद से ईद उल अजहा का त्योहार मनाया जाने लगा. बकरीद को सब्र का त्योहार कहा गया है और इस तरह खुदा ने हजरत इब्राहिम के विश्वास और सब्र की परीक्षा ली.

Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी

 

2-Bakra eid date-

  • Eid al-Adha 2019 in India will begin in the evening of
  • Sunday
  • 11 August
  • and ends in the evening of
  • Monday
  • 12 August
  • Dates may vary.
  • 3-bakra eid about

जब भी ईद की बात होती है, तो सबसे पहले जिक्र आता है ईद के चांद (Eid ka Chand) का. ईद का चांद रमजान (Ramadan 2019) के 30वें रोज़े के बाद ही दिखता है. इसी चांद को देखकर ईद मनाई जाती है. हिजरी कैलेण्डर (Islamic Calendar 2019), जोकि इस्लामिक कैलेण्डर है, के अनुसार ईद साल में दो बार आती है. एक ईद होती है ईद-उल-फितर (2019 Eid Ul Fitr) और दूसरी को कहा जाता है.

ईद-उल-जुहा. ईद-उल-फितर को महज ईद भी कहा जाता है. इसके अलावा इसे मीठी ईद (Meethi Eid 2019) भी कहा जाता है. जबकि ईद-उल-जुहा को बकरीद (Bakra Eid 2019) के नाम से भी जाना जाता है. ab ate hai इस सवाल पर कि ईद किस दिन मनाई जाती (Eid Kab Hai 2019) है. तो जिस दिन ईद का चांद नजर आता है ईद भी उसी दिन मनाई जाती है. यही वजह है कि कई बार एक ही देश में अलग-अलग दिन ईद मनाई जा सकती है.

जहां चांद पहले देखा जाता है वहां ईद पहले मन जाती है… इस बात से यह तो साफ होता है कि ईद और चांद के बीच कुछ खास रिश्ता है. आईए आज आपको बताते हैं कि ईद और चांद के बीच है क्या स्पेशल कनेक्शन…

4-bakra eid ki qurbani-

तीन हिस्सों में बांटा जाता है गोश्त

बकरीद के दिन सबसे पहले नमाज अदा की जाती है। इसके बाद बकरे या फिर अन्य जानवर की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों करने की शरीयत में सलाह है। गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में तकसीम किया जाता है, दूसरा दोस्त अहबाब के लिए और वहीं तीसरा हिस्सा घर के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

5- Hazrat Ibrahim Ali Salam

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, एक पैगंबर थे हजरत इब्राहिम a.s और माना जाता है कि इन्हीं के जमाने से बकरीद की शुरुआत हुई। वह हमेशा बुराई के खिलाफ लड़े। उनका ज्यादातर जीवन( जनसेवा लोगों की खिदमत में बीता इब्राहिम अलैहिस्सलाम कभी भी बिना किसी मेहमान के खाना नहीं खाया karte .

वह हमेशा किसी न किसी को अपना मेहमान करते और उसी के साथ खाना खाते वह सबसे बड़े मेहमान वास्ते मुसलमानों के नबियों में इब्राहिम अलैहिस्सलाम का एक बड़ा मकान है नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम की नस्ल में से हैं Ibrahim alaihissalam मैं अल्लाह से दुआ कीजिए कि मेरे अल्लाह अरब देश में कभी भी खाने की कमी ना हो उनकी दुआ अल्लाह कुबूल की और आज तक अरब में कभी खाने की कमी ना हो और वहां दुनिया का सबसे अच्छा गाना पहुंचता है इब्राहिम अलैहिस्सलाम की दुआ आज भी चली आ रही है और अरब देश में खाने की जरा भी कमी नहीं है.

Quran Kya Hai ||What is Quran ? & History in Hindi||Quran Kaha se aya

हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम बहुत ज्यादा और इबादत करने वाले थे.

6- हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की बीवी

इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दो बीवियां थी एक का नाम था बीवी सारा और दूसरी बीवी का नाम हाजरा था हजरत हाजरा के बेटे थे इस्माईल अलैहिस्सलाम जिनकी कुर्बानी इब्राहिम अलैहिस्सलाम में अल्लाह की राह में उन्हें जमा करने की कोशिश में की और जन्नत से अल्लाह ताला में एक dumba भेज दिया इस्माईल अलैहिस्सलाम हट गए उनकी जगह हो तुम बाजवा हो गया तभी से ही बकरा ईद मैं बकरा जुबा किया जाता है और कुर्बानी की ये रस्म चली आ रही है कुर्बानी किए रस्म अब्राहिम अली सलाम की सुन्नत है.

  • पहले दी थी इसकी कुर्बानी

90 साल की उम्र तक उनकी कोई औलाद नहीं हुई तो उन्होने खुदा से इबादत की और उन्हें चांद से बेटा इस्माईल मिला। उन्हें सपने में आदेश आया कि खुदा की राह में कुर्बानी दो। पहले उन्होंने ऊंट की कुर्बानी दी। इसके बाद उन्हें सपने आया कि सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दो।

  • फिर आया सपना

हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने सारे जानवरों की कुर्बानी दे दी। उन्हें फिर से वही सपना आया, इस बार वह खुदा का आदेश मानते हुए बिना किसी शंका के बेटे के कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने अपनी पत्नी हाजरा से बच्चे को नहला-धुलाकर तैयार करने को कहा।

  • इस तरह मिला बच्चा

हजरत इब्राहिम  alaihissalam जब वह अपने बेटे इस्माईल को लेकर बलि के स्थान पर ले जा रहे थे तभी इब्लीस (शैतान) ने उन्हें बहकाया कि अपने जिगर के टुकड़े को मारना गलत है। लेकिन वह शैतान की बातों में नहीं आए और उन्होंने आखों पर पट्टी बांधकर कुर्बानी दे दी। जब पट्टी उतारी तो बेटा उछल-कूदकर रहा था तो उसकी जगह बकर यानी बकरे की बली खुदा की ओर से कर दी गई।

  • इसलिए दी जाती है बकरे की कुर्बानी

हजरत Ibrahim Ali Salam ने खुदा का शुक्रिया अदा किया। हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की कुर्बानी से खुदा खुश होकर उन्होंने पैगंबर बना दिया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि जिलहिज्ज के इस महीने में जानवरों की बलि दी जाती है। इसलिए बकरीद पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। वहीं मुस्लिम हज के अंतिम दिन रमीजमारात जाकर शैतान को पत्थर मारते हैं जिसने इब्राहिम को खुदा के आदेश से भटकाने की कोशिश की थी।

7-bakra eid bakra cutting

बकरा ईद के दिन नमाज के बाद कसाई आकर बकरा काटता है जो चाहे कटिंग होती है बकरा मंगाया हो या भैंस मंगाई हो या दुंबा हो और कोई कोई ऊंट भी कटवा आता है बकरा कटने के बाद या कह सकते हैं गुरबाणी होने के बाद घोस्ट को गरीबों में तक्सीम किया जाता है और कुछ हिस्सा रिश्तेदारों में भेजा जाता है और कुछ हिस्सा जिसने कुर्बानी करवाई हो जिसे घोस्ट की जरूरत हो उसे दिया जाता है और जितने कुर्बानी करवाई हो वह कुछ हिस्सा अपने घर में रख लेता है.

 
Bakra eid kab ki hai
bakra eid kab ki hai|| Bakra eid date||bakra eid about
8-bakra eid mubarak

हर मुसलमान मर्द और औरत अपनी तरफ से एक दूसरे को बकरा ईद की मुबारकबाद देते हैं जो एक दूसरे से दूर रहते हैं वह फोन पर वीडियो कॉल पर एक दूसरे को मुबारकबाद देते हैं
मुसलमान ईद अल अज़हा के दिन मूल रूप से दो काम करते हैं। पहले मस्जिद में ईद की सामूहिक नमाज और फिर कुर्बानी। नमाज आध्यात्मिकता सिखाती है और कुर्बानी त्याग का जज्बा सिखाती है। आज के दिन आप अपने करीबियों यहां दिए गए मेसेज भेजकर विश कर सकते हैं…

आज खुदा की हम पर हो मेहरबानी,

कर दे माफ हम लोगों की सारी नादानी,

बकरीद के दिन आज मिलकर करें यही वादा,

खुदा की दिखाई राह पर हम चलेंगे सदा।

 

अल्लाह का रहम आप पर आज और हमेशा बरसे, ईद अल अजहा मुबारक। 

ईद अल अजहा त्योहार है कुर्बानी और अल्लाह के फरमान को मानने का, अल्लाह करे तमाम जिंदगी हम इसी राह पर चल पाएं। बकरीद मुबारक। 

हमेशा मुस्कुराएं आप जैसे मुस्कुराते हैं फूल।
दुनिया के सारे गम आप जाएं भूल।
चारों तरफ फैलाएं खुशियों के गीत।
इसी उम्मीद के साथ आपको मुबारक हो बकरीद।

May Allah bless you with
A beautiful feast of Sacrifice
on this auspicious day of Eid ul-Adha
Happy Bakra Eid 2019

May the magic of Bakrid bring lots of happiness to your life.

May this festival of sacrifice, faith, and purity abundant your life with joy and good health.
Happy Bakrid.

Please happy every day

Be happy every day so that you become Eid every day. Eid happens when your heart is happy and your heart is always happy and your day will good.

ईद-उल-फ़ितर हिजरी कैलंडर (हिजरी संवत) के दसवें महीने शव्वाल यानी शव्वाल उल-मुकरर्म की पहली तारीख को मनाई जाती है. अब समझने वाली बात यह भी है कि हिजरी कैलेण्डर की शुरुआत इस्लाम की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना से मानी जाती है. वह घटना है हज़रत मुहम्मद द्वारा मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत करने की यानी जब हज़रत मुहम्मद ने मक्का छोड़ कर मदीना के लिए कूच किया था.

हिजरी संवत जिस हिजरी कैलेण्डर का हिस्सा है वह चांद पर आधारित कैलेण्डर है. इस कैलेण्डर में हर महीना नया चांद देखकर ही शुरू माना जाता है. ठीक इसी तर्ज पर शव्वाल महीना भी ‘नया चांद’ देख कर ही शुरू होता है. और हिजरी कैलेण्डर के मुताबिक रमजान के बाद आने वाला महीना होता है शव्वाल. ऐसे में जब तक शव्वाल का पहला चांद नजर नहीं आता रमजान के महीने को पूरा नहीं माना जाता.

अगर आपको हमारी यह पोस्टbakra eid kab ki hai|| Bakra eid date||bakra eid about पसंद आए तो प्लीज इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और हमारे पोस्ट को लाइक करें आपके मन में जो भी सवाल हो उसे प्लीज comment कर कर हमें बताएं शुक्रिया इंशा अल्लाह से फिर मिलेंगे नेक्स्ट पोस्ट में अल्लाह हाफिज दुआ में याद रखिएगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here