तीन तलाक|| ट्रिपल तलाक meaning in हिंदी|| ट्रिपल तलाक पर बैन, इराक भी है शामिल

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ट्रिपल तलाक पर बैन, इराक भी है शामिल

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अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह व बरकातहू
السَّـــــلاَمُ عَلَيــْــكُم ﻭَﺭَﺣﻤَــﺔ ﺍﻟﻠﻪِ ﻭ َﺑَـﺮَﻛـَﺎﺗــہ
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तीन तलाक के इस वाक्य को समझने के लिए हमें सबसे पहले इस्लाम के उस नियम को समझना होगा जो अल्लाह तबारक व ताला में मुस्लिम औरत और मर्द के लिए तैयार किया है इसके अंदर वह सभी चीजें आती हैं जो बिना निकाह के जरूरी नहीं जी हां जब कोई एक लड़का एक लड़की से निकाह करता है तभी यह चीजें लागू होते हैं इस्लाम धर्म में, (nikah) विवाह, जिसे निकाह कहा जाता हैं एक पुरूष और एक स्त्री की अपनी आज़ाद मर्ज़ी से एक दूसरें के साथ पति और पत्नी के रूप में रहने का फ़ैसला हैं।
इसकी तीन शर्ते हैं : पहली यह कि पुरूष वैवाहिक जीवन की ज़िम्मेदारियों को उठाने की शपथ ले, और वादा करें कि मैं अपनी बीवी का जब तू जिंदा है पूरी जिंदगी उसका रिमोट होता हूं और उससे कपड़ा खाना और मकान देने की जिम्मेदारी लेता हूं!

Muslim personal law board kya hai

मैहर के रूप में 50000 हो या 125000 या फिर 25000 जिसको जितनी हैसियत हो उस हैसियत के मुताबिक मेहर की रकम तय की जाती है और फिर बड़े बुजुर्गों के द्वारा फैसला लिया जाता है इस फैसले में लड़की वाले और लड़के वाले दोनों बराबर के हिस्सेदार होते हैं फैसला लेने के बाद निकाह की रस्म अदा की जाती है एक निश्चित रकम जो आपसी बातचीत से तय हो, मेहर के रूप में औरत को Di Jati Hai.

निकाह के अगले दिन वर्लीमें की रसम होती है जिसमें तमाम रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों को बुलाया जाता है और जिसकी जितनी हैसियत होती है उसके हिसाब से मेहमानों को खाना खिलाया जाता है इस फंक्शन की वजह से तमाम दुनिया के लोगों को इस निकाह की जानकारी होती है और सबको पता चल जाता है कि इस लड़के का इस लड़की से निकाह हो गया है और अब यह इस लड़के की बीवी बन चुकी है अब यह एक जायद रिश्ता बन चुका है!

( इस नये सम्बन्ध की समाज में घोषणा हो जाये। इसके बिना किसी मर्द और औरत का साथ रहना और यौन सम्बन्ध स्थापित करना गलत, बल्कि एक बड़ा गुनाह है अपराध हैं।)

बिना निकाह के एक लड़की और लड़के का साथ रहना सख्त मना है इस्लाम इस बात की इजाजत कभी नहीं देता कि कोई लड़की बिना निकाह के किसी लड़की के साथ रहे अगर कोई ऐसा करता है कि निकल किए बिना एक दूसरे के साथ रहता है और रिश्ता बनाता है तो वह नाजायज और हराम रिश्ता कहलाता है जो अल्लाह को बिल्कुल पसंद नहीं और जो बड़ा गुनाह है तमाम मुसलमानों को इस बड़े गुना से बचना चाहिए!

इस्लाम में दो तरह के तलाक़ के बारे में ज़िक्र है।

1-पहला तलाक़ अल सुन्नाम,

2-दूसरा, तलाक़ अल बिद्दत,

इस्लाम में दो तरह के तलाक़ के बारे में ज़िक्र है। पहला तलाक़ अल सुन्नाम, जिसे पैग़ंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के हुक्म के मुताबिक़ किया जाता है। जबकि दूसरा, तलाक़ अल बिद्दत, जिसे बाद में ईजाद किया गया। क़ुरआन में सीधे तौर पर तीन तलाक़ का कोई ज़िक्र नहीं है और ना ही पैग़ंबर मोहम्मद Sallallahu Tala a Lego waSalim ने इसके बारे में सीधे तौर पर कुछ कहा है।

कुरान में सिर्फ एक बार तलाक़ बोलने से ही तलाक़ होने का जिक्र है। लेकिन इससे पहले दोनों के बीच सुलझ कराने के लिए भी कई उपाय बताए गए हैं। सुरेह निसा-35 में कहा गया है

सुरेह निसा-35 में कहा गया है कि;

अगर तुम्हें शौहर बीवी में फूट पड़ जाने का अंदेशा हो तो एक हकम (जज) मर्द के लोगों में से और एक औरत के लोगों में से मुक़र्रर कर दो, अगर शौहर बीवी दोनों सुलह चाहेंगे तो अल्लाह उनके बीच सुलह करा देगा, बेशक अल्लाह सब कुछ जानने वाला और सब की खबर रखने वाला है।

इसके बाद भी अगर शौहर और बीवी दोनों अलग होना चाहते हैं तो शौहर बीवी के खास दिनों के आने का इंतज़ार करेगा। ख़ास दिनों के गुज़र जाने के बाद जब बीवी पाक़ हो जाए तो बिना हमबिस्तर हुए कम से कम दो जुम्मेदार लोगों को गवाह बना कर उनके सामने बीवी को एक तलाक़ दे, यानी शौहर बीवी से सिर्फ इतना कहे कि “मैं तुम्हे तलाक़ देता हूं”। तलाक़ देने के तीन महीने बाद तक बीवी ससुराल में रह सकती है। उसे कोई नहीं निकाल सकता है।

इसके चलते कुरान शरीफ में दोनों पक्षों से बात-चीत या सुलह का प्रयास किए बिना दिए गए तलाक़ का जिक्र कहीं भी नहीं मिलता। इसी तरह क़ुरआन शरीफ में तलाक़ प्रक्रिया की समय अवधि भी स्पष्ट रूप से बताई गई है। एक ही क्षण में तलाक़ का सवाल ही नहीं उठता। खत लिखकर, टेलीफ़ोन पर या आधुनिकाल में ईमेल, एस एम एस अथवा वॉट्सऍप के माध्यम से एक-तरफा और ज़ुबानी या अनौपचारिक रूप से लिखित तलाक़ की इजाज़त इस्लाम कतई नहीं देता। एक बैठक में या एक ही वक्त में तलाक़ दे देना गैर-इस्लामी है।
ऐस किया जाना मिस्र तथा कई अन्य मुस्लिम देशों में अवैध है।

तीन तलाक़ शैतान की खुशी का सबसे बड़ा सबब

तमाम दिन शैतान लोको गुमराह करता है सभी छोटे शैतान लोगों से छोटे बड़े गुना करवाते हैं और जब शाम होती है और सभी शैतान अपने बड़े शैतान के सामने हाजिर होते हैं और अपनी अपनी रिपोर्ट पेश करते हैं तो शैतान सब की बात सुनता है कोई कहता है कि मैंने आज भाई-बहनों में झगड़ा करा दिया कोई कहता है मैंने आज एक एक्सीडेंट करवाया कोई शैतान कहता है मैंने किसी को झूठ बुलवाया किसी से चुगली करवाई किसी से अभी बात करवाएं आज किसी की नमाज छुड़वा दी सभी शैतान अपनी अपनी हरकतें अपने बड़े शैतान को बताते हैं पर शैतान को मजा नहीं आता वह ज्यादा खुश नहीं होता जब कोई शैतान यह कहता है कि आज मैंने एक मियां बीवी में झगड़ा करवाया और उनका तलाक हो गया तो बड़ा शैतान बेहद खुश होता है और अपने शैतान को शाबाशी देता है तलाक एक शैतानी अमल है जो शैतान के बहकावे में आकर इंसान अपनी बीवी को तलाक दे देता है !

तलाक अल्लाह का सबसे ना पसंदीदा अमल है

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तलाक अल्लाह का सबसे ना पसंदीदा अमल है अल्लाह कभी नहीं चाहता कि उसके बंदे तलाक दें जब भी कोई मर्द किसी औरत को तलाक देता है तो अल्लाह को बेहद दुख होता है अल्लाह अपने बंदों से बेहद मोहब्बत करता है और वह दुनिया पर 1 mard को एक औरत का सहारा बना कर भेजता है और तलाक की वजह से वह सहारा छिन जाता है जिससे अल्लाह को बहुत दुख होता है हमें बिना सोचे समझे कभी तलाक नहीं देनी चाहिए और एक बार जरूर सोचना चाहिए किए यह हम अल्लाह को बिल्कुल भी पसंद नहीं है हमें अपने रब को Raazi रखने के लिए आपने तीन तलाक के अमल से बचना चाहिए कोशिश करनी चाहिए कि हमारा आपसी मामला sulha पर खत्म हो और तलाक की नौबत ना आए.

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मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017

अगस्त 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से देश में त्वरित ट्रिपल तलाक़ के 100 मामलों के बाद भाजपा सरकार ने बिल तैयार किए 28 दिसंबर 2017 को, लोकसभा ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को पारित कर दिया।
बिल किसी भी रूप में तत्काल ट्रिपल तलाक़ (तलाक़-ए-बिदाह) लिखता है – लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप को अवैध और शून्य के रूप में, पति के लिए जेल में तीन साल तक। आरजेडी, एआईएमआईएम, बीजेडी, एआईएडीएमके और एआईएमएम के सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया, इसे प्रकृति में मनमानी और दोषपूर्ण प्रस्ताव दिया, जबकि कांग्रेस ने लोकसभा में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पेश किया विधेयक का समर्थन किया।

विधेयक पर विपक्षी सदस्य 19 संशोधन प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन सदन ने सभी को ख़ारिज कर दिया। तीन संशोधनों पर वोटिंग की मांग की गई और वोटिंग होने के बाद स्पीकर सुमित्रा महाजन ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि ये ख़ारिज हो गए हैं।

कुछ आधुनिक शिक्षा से प्रभावित व्यक्तियों का दावा है

क़ुरआन में तलाक़ को न करने लायक़ काम का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि इसको ख़ूब कठिन बनाया गया है। तलाक़ देने की एक विस्तृत प्रक्रिया दर्शाई गई है। परिवार में बातचीत, पति-पत्नी के बीच संवाद और सुलह पर जोर दिया गया है। कुरान Sharif में कहा गया है कि जहाँ तक संभव हो, तलाक़ न दिया जाए और यदि तलाक़ देना ज़रूरी और अनिवार्य हो जाए तो कम से कम यह प्रक्रिया न्यायिक हो.

इसके चलते क़ुरआन शरीफ में दोनों पक्षों से बात-चीत या सुलह का प्रयास किए बिना दिए गए तलाक़ का जिक्र कहीं भी नहीं मिलता। इसी तरह क़ुरआन शरीफ में तलाक़ प्रक्रिया की समय अवधि भी स्पष्ट रूप से बताई गई है। एक ही क्षण में तलाक़ का सवाल ही नहीं उठता। खत लिखकर, टेलीफ़ोन पर या आधुनिकाल में ईमेल, एस एम एस अथवा वॉट्सऍप के माध्यम से एक-तरफा और ज़ुबानी या अनौपचारिक रूप से लिखित तलाक़ की इजाज़त इस्लाम कतई नहीं देता। एक बैठक में या एक ही वक्त में तलाक़ दे देना गैर-इस्लामी है।

ऐस किया जाना मिस्र तथा कई अन्य मुस्लिम देशों में अवैध है।

तीन तलाक़ (तलाक़-ए-बिद्दत)

तलाक़ ए बिद्दत (ट्रिपल तलाक़) के तहत जब एक व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक़ बोल देता है या फ़ोन, मेल, मैसेज या पत्र के ज़रिए तीन तलाक़ दे देता है तो इसके बाद तुरंत तलाक़ हो जाता है।

इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। ट्रिपल तालक़, जिसे तलाक़-ए-बिद्दात, तत्काल तलाक़ और तालक़-ए-मुघलाजाह (अविचल तलाक़) के रूप में भी जाना जाता है, इस्लामी तलाक़ का एक रूप है जिसे भारत में मुसलमानों द्वारा इस्तेमाल किया गया है,

हनफ़ी पन्थ के अनुयायी न्यायशास्र के सुन्नी इस्लाम सुन्नी इस्लामी स्कूल

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने 365 पेज के फ़ैसले में कहा, ‘3:2 के बहुमत से दर्ज की गई अलग-अलग राय के मद्देनजर‘तलाक़-ए-बिद्दत’’ तीन तलाक़ को निरस्त किया जाता है।

ट्रिपल तलाक़ आज मूल अधिकार के जगह एक राजनैतिक मुद्दा बन रहां है| हाल ही में, वर्तमान सरकार लोकसभा के शीतकालीन सत्र में ट्रिपल तलाक़ बिल पारित करने मे सफल हुई| इस विधेयक के अंदर ट्रिपल तलाक़ लेना कानूनन अपराध होगा, जिसके लिए मुस्लिम पुरुष को ३ साल तक सजा हो सकती है| कुछ राजनितिक दलों ने इस बिल का विरोध भी किया| कांग्रेस जो मुख्य विरोधी पक्ष हे, उसने बिल का समर्थन किया, पर कुछ मुद्दों पर संशोधन की भी मांग की| लोकसभा में बीजेपी का बहुमत होने के कारण वह इस बिल को पारित कर पायी| यह बिल अभी राज्य सभा में पारित होना बाकी है| राज्य सभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है, वहां पे इस बिल पर ज्यादा विरोध होने की आशंका है|

कुरान ||होली कुरान ||meaning ||of Quran ||Quran in English

“मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक” के तहत तीन तलाक़ गैर कानूनी है, इसके उल्लंघन पर मुस्लिम पुरुष को ३ साल की सजा हो सकती है| पुरुष को तलाक़शुदा महिला के रखरखाव के लिए पैसे भी देने होंगे| मुस्लिम महिलांओके के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है| समान अधिकार के तरफ यह एक बड़ा कदम है| मुस्लिम लॉ बोर्ड इस बिल के खिलाफ है, उनके हिसाब से यह बिल मुस्लिम धर्म के खिलाफ है| कहियोंका कहना है की यह बीजेपी की मुस्लिम मतदाता तोड़ने की निति है|

विपक्षी दलों ने बिल में सुधार की मांग की और उनके मुद्दों पर भी विचार किया जाना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें विधेयक ही पेश नहीं करना चाहिए और भारतीय मुस्लिम महिलाओं को बुनियादी अधिकारोंसे वंचित रखना चाहिए।

तीन तलाक: पाकिस्तान समेत दुनियाभर के इन देशों में लगा है ट्रिपल तलाक पर बैन, इराक भी है शामिल

तीन तलाक ट्रिपल तलाक पर बैन, इराक भी है शामिल

तीन तलाक: दुनियाभर के 22 देशों में बैन है ट्रिपल तलाक, पाक भी है शामिल

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ट्रिपल तलाक पर बैन, इराक भी है शामिल

केंद्र सरकार ने राज्यसभा में मंगलवार को तीन तलाक विधेयक पेश कर दिया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में विधेयक को पेश किया। इससे पहले केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ट्रिपल तालाक बिल आज दोपहर 12 बजे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। आज हमारे पास 11 विधेयक लंबित हैं। अब तक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में 15 विधेयक पारित किए जा चुके हैं। 6 बिल केवल लोकसभा में और 4 बिल केवल राज्यसभा में पारित किए गए हैं। दुनियाभर में ऐसे कई देश है जहां पर तीन तलाक प्रतिबंधित है। इन देशों में पाकिस्तान भी शामिल है। जानिए, उन देशों के बारे में जहां पर तीन तलाक को बैन किया जा चुका है।

इजिप्ट

इजिप्ट दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने ट्रिपल तलाक को खत्म किया था। सन् 1929 में इजिप्ट ने कई मुसलमान जजों की राय पर ट्रिपल तलाक को खत्म किया था। इजिप्ट ने एक इस्लामिक विद्वान इब्न तामियां की 13वीं सदी में कुरान की विवेचना के आधार पर ट्रिपल तलाक को मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सन् 1929 में सूडान ने भी इजिप्ट के रास्ते पर चलते हुए ट्रिपल तलाक को बैन कर दिया था।

पाकिस्तान

पाकिस्तान ने भारत से अलग होने के नौ साल बाद यानी सन् 1956 में ही ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया था। यहां पर ट्रिपल तलाक के खत्म होने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। सन् 1955 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने अपनी सेक्रेटरी से शादी कर ली थी और वह भी अपनी पत्नी को तलाक दिए बिना। इसके बाद पूरे देश में ऑल पाकिस्तान वीमेन एसोसिएशन की ओर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। यहां से पाकिस्तान में ट्रिपल तलाक के खत्म होने पर बहस शुरू हुई।

साल 1956 में सात सदस्यों वाले एक कमीशन ने ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया। कमीशन की ओर से फैसला दिया गया कि पत्नी को तलाक कहने से पहले पति को मैट्रीमोनियल एंड फैमिली कोर्ट से तलाक का आदेश लेना होगा। साल 1961 में इसमें बदलावा हुआ और फिर यह तय हुआ कि पति तलाक के मामले पर बनाई गई एक सरकारी संस्था के चेयरमैन को नोटिस देगा। इसके 30 दिन बाद एक यूनियन काउंसिल पति और पत्नी को 90 दिनों का समय देगी कि दोनों रजामंदी कर लें। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर तलाक वैध माना जाएगा।

बांग्लादेश

साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश का जन्म हुआ। इसके बाद यहां पर शादी और तलाक के कानूनों में सुधार हुआ। बांग्लादेश ने ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया और यहां पर तलाक के लिए कोर्ट का फैसला मान्य माना गया। इसके अलावा यहां पर तलाक से पहले यूनियन काउंसिल के चेयरमैन को शादी खत्म करने से जुड़ा एक नोटिस देना होता है।

इराक

सन् 1959 में इराक दुनिया का पहला अरब देश बना था जिसने शरिया कोर्ट के कानूनों को सरकारी कोर्ट के कानूनों के साथ बदल दिया। इसके साथ ही यहां पर ट्रिपल तलाक खत्म कर दिया गया। इराक के पर्सनल स्टेटस लॉ के मुताबिक ‘तीन बार तलाक बोलने को सिर्फ एक ही तलाक माना जाएगा।’ 1959 के इराक लॉ ऑफ पर्सनल स्टेटस के तहत पति और पत्नी दोनों को ही अलग-अलग रहने का अधिकार दिया गया है।

श्रीलंका

श्रीलंका में ट्रिपल तलाक का जो कानून है उसे कई विद्वानों ने एक आदर्श कानून करार दिया है। यहां पर मैरिज एंड डिवोर्स (मुस्लिम) एक्ट 1951 के तहत पत्नी से तलाक चाहने वाले पति को एक मुस्लिम जज को नोटिस देना होगा जिसमें उसकी पत्नी के रिश्तेदार, उसके घर के बड़े लोग और इलाके के प्रभावशाली मुसलमान भी शामिल होंगे। ये सभी लोग दोनों के बीच सुलह की कोशिश करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर 30 दिन बाद तलाक को मान्य करार दिया जाएगा। तलाक एक मुसलमान जज और दो गवाहों के सामने होता है।

सीरिया

सीरिया में मुसलमान आबादी करीब 74 प्रतिशत है और यहां पर सन् 1953 में तलाक का कानून बना था। सीरिया के पर्सनल स्टेटस लॉ के आर्टिकल 92 के तहत तलाक को तीन या चाहे कितनी भी संख्या में बोला जाए लेकिन इसे एक ही तलाक माना जाएगा। यहां पर भी तलाक जज के सामने ही वैध माना जाता है।

ट्यूनीशिया 

ट्यूनीशिया में कोई भी तलाक तब तक वैध नहीं माना जाता है जब तक कि अदालत की ओर से शादीशुदा जिंदगी में जारी तनाव को लेकर एक गहन इन्क्वॉयरी पूरी नहीं कर ली जाती। सन् 1956 में ट्यूनीशिया में यह कानून बना था।

मलेशिया और इंडोनेशिया

मलेशिया में डिवोर्स रिफॉर्म एक्ट 1969 के तहत कई बदलाव किए गए। यहां पर अगर किसी पति को तलाक लेना है तो फिर उसे अदालत में अपील दायर करनी होगी। इसके बाद अदालत पति को सलाह देती है कि वह तलाक की बजाय संबंध सुधारने की कोशिश करे। अगर मतभेद नहीं सुलझते हैं तो फिर पति अदालत के सामने तलाक दे सकता है। मलेशिया में अदालत के बाहर दिए गए तलाक की कोई मान्यता नहीं है। इंडोनेशिया में भी तलाक बिना कोर्ट के वैध नहीं है। इंडोनेशिया में तलाक यहां के आर्टिकल 19 के तहत कुछ वैध वजहों के आधार पर मिल सकता है।

इन देशों में भी बैन है तीन तलाक 

इन देशों के अलावा साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, इरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर और यूएई में भी ट्रिपल तलाक को बैन किया गया है। 

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