Eid 2024: कब है
2024 में ईद उल-फितर बुधवार, 10 अप्रैल को पड़ सकती है।
Eid 2024:ईद उल फितर का बयान
अन्य नाम और भाषाएँ
अंग्रेज़ी | रमज़ान ईद/ईद-उल-फितर |
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जर्मन | रमज़ान ईद/ईद-उल-फितर |
हिंदी | रमज़ान आईडी/ईद उल फितर |
नार्वेजियन | रमज़ान ईद/ईद-अल-फितर |
Eid 2024: ताजदार ए मदीना सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने रमजान शरीफ के मुबारक महीने के मुतालिक इरशाद फरमाया है कि इस महीने का पहला अशरा रहमत दूसरा अशरा मकसद और तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का है लिहाजा इस रहमत मकसद और दोजक से आजादी के इनाम आपकी खुशी में हमें ईद की खुशी मनाने का मौका पर हम किया गया है और ईद उल फितर के रोज खुशी का इजहार करना सुन्नत है लिहाजा अदाएं सुन्नत की नियत से हमें भी अल्लाह के पढ़ लो रहम पर जरूर इजहारे मुसर्रत करना चाहिए कि अल्लाह के फसलों क्रम पर खुशी करने की तरफ तो हमें खुद अल्लाह का सच्चा कलाम भी दे रहा है जो नाचे इंसान होता है
तुम पर मोहल्ला ही के फसलों और उसी की रहमत इसी पर चाहिए की खुशी करें
(कंजुल ईमान)
Eid 2024-क्या रमज़ान ईद/ईद-उल-फितर सार्वजनिक छुट्टी का दिन है?
रमज़ान ईद/ईद-उल-फितर एक सार्वजनिक अवकाश है। यह आम जनता के लिए छुट्टी का दिन है, और स्कूल और अधिकांश व्यवसाय बंद हैं।
ईद क्यों न मनाएं
देखिए ना जब कोई मुल्क किसी जालिम हुकूमत के चुंगल से आजादी पाता है तो हर साल उसी महकी उसी तारीख को उसकी यादगार के तौर पर जश्न मनाया जाता है जब कोई तालिब इल्म इम्तिहान में कामयाब हो जाता है तो वह किस कदर खुश हो जाता है माहे रमजान उल मुबारक की बरकत और रहमतों के तो क्या कहने यह तो वह azeem-o-shaan महीना है जिसमें बनी जो इंसान की पल्ला हो वह मोदी और इस्लाह तरक्की के लिए एक खुदा ही कानून यानी कुरान ए मजीद नाजिल हुआ यह वह महीना है जिसमें हर एक मुसलमान की हरारत हिमानी का इम्तिहान लिया जाता है जिंदगी का एक बेहतरीन दस्तूर अमल पाकर और 1 महीना के सख्त इम्तिहान में कामयाब होकर एक मुसलमान का खुश होना पितृ बात है इसी खुशी का नाम है.
Ramadan/Ramzan Timing:रमजान की सहरी और इफ्तार पूरा टाइम टेबल यहां देखें
Ramdan Wishes 2024: Ramadan Mubarak. Shayari In Hindi
ईद के दिन माफी का ऐलान आम
Eid 2024- अल्लाह ताला का हम पर करम है कि उसने माहे रमजान उल मुबारक के बाद फौरन ही ईद उल फितर की नेमतें उस्मा दे हमें सरफराज फरमाया ईद सईद की बेहद फजीलत है चुनांचे एकता तमिल हदीस में जिसे हजरत सैयदना अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रहमतुल्लाह ताला अन्हू से रिवायत किया है यह भी है जब ईद उल फितर की मुबारक रात बुलाती है तो इसे लैलातुल jaeza यानी इनाम की रात के नाम से पुकारा जाता है!
जब ईद की सुबह होती है तो अल्लाह अपने मासूम फरिश्तों को तमाम शहरों में भेजता ह वह फरिश्ते जमीन पर तशरीफ ला कर सब गलियों और raho के सिरों पर खड़े हो जाते हैं और इस तरह निदा देते हैं हैं उम्मते मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम उस रब्बे करीम की बारगाह की तरफ चलो जो बहुत ही ज्यादा अदा करने वाला और बड़े से बड़ा गुनाह माफ करने वाला है फिर अल्लाह अपने बंदों से यू मुखातिब होता है.
ऐ मेरे बंदो मांगो क्या मांगते हो मेरी इज्जत तो जलाल की कसम आज के रोज इस नमाजे ईद के इस्तेमा में अपनी akhirat के बारे में जो कुछ सवाल करोगे तो पूरा करूंगा और जो कुछ दुनिया के बारे में मांगोगे उसमें तुम्हारी भलाई की तरफ नजर फर्म आऊंगा यानी इस मामले में वह करूंगा जिसमें तुम्हारी बेहतरी हो मेरी इज्जत की कसम जब तक तुम मेरा लिहाज रखोगे मैं भी तुम्हारी khatao पर पर्दा पोशी करता रहूंगा मेरी इज्जत हो जलाल की कसम मैं तुम्हें हद से बढ़ने वाले dozakhiyo के साथ रुसवा ना कर लूंगा बस अपने घरों की तरफ लौट जाओ तुमने मुझे राज़ी कर दिया और मैं भी तुमसे राजी हो गया !
Eid 2024:why Eid ul Adha is celebrated.eid history
ईदी मिलने की रात
खुदा ए रहमान हम गुनाहगारों पर किस कदर मेहरबान है एक तो रमजान मुबारक में सारा महीना वह हम पर अपनी रहमते नाम आता ही रहता है फिर जूही बे यह मुबारक महीना हमसे जुदा होता है फौरन हमें इस शहीद की खुशियां अता फरमा ता है शादी से मुबारक मुकर्रम की चांद रात यानी शब्द याद करा दिया गया है रात में 1 लोगों को इनाम मिलने की गवाही दे दिए जाने की रात है इस मुबारक रात की बेहद फजीलत है
दिल जिंदा रहेगा
Eid 2024- ताजदार ए मदीना सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम का फरमान ए आलीशान है कि जिसने ईंधन की रात यानी सर्वे ईद उल फितर और शब्द ईद उल अजहा चल बे सबाब के लिए काम किया यानी रात भर जाग कर इबादत की उस दिन उसका दिल नहीं मरेगा जिस दिन लोगों के दिल मर जाएंगे!
जन्नत वाजिब हो जाती है
एक और मकान पर हजरत सैयदना ऑल विन जबल रहमतुल्लाह ताला अन्हू से मारवी है फरमाते हैं जो पांच रातों में शब्बेदारी करें उसके लिए जन्नत वाजिब हो जाती है जिन्हें जा शरीफ की आठवीं नवीं और दसवीं रात इस तरह तीन राते तो यह हुई और चौथी ईद उल फितर की रात पांचवी शाहबानो मोहर्रम की 15वीं रात यानी शबे बारात!
सैयदना अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रजि अल्लाह ताला अनु की रिवायत करदा तवील हदीसे पाक जो आगे गुजरी में यह मजमून भी है कि ईद के रोज मासूम फरिश्ते अल्लाह की अदाओं और बक्शीश ओं का एलान करते हैं और अल्लाह खुद भी बेहद कर्म फरमाता है और माहे रमजान उल मुबारक में इबादत करने वाले तमाम मुसलमान भाइयों और मुसलमान बहन होगी मकसद शर्मा देता है वह माफी का ऐलान कर दिया जाता है मस्जिद की तरफ से यह भी पेशकश की जाती है.
कि जिसे कुछ दुनिया और आखिरत की खैर मांगनी है वह सवाल करें उस पर जरूर कर्म किया जाएगा काश ऐसे मांगने के मौके पर हमें मांगना आ जाए क्योंकि उम्मल लोग इस मौके पर सिर्फ दुनिया की सैर रोजी में बरकत और न जाने क्या-क्या दुनिया के मामलात पर सवाल करते हैं दुनिया की kher के साथ-साथ आखिरत की kher ज्यादा मांगनी चाहिए दिन पर स्थित कामत और खात्मा बिल्क है वह भी माधवी मदीने में वह भी रख सरकार सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के कदमों में और दफन किया में और जन्नतुल फिरदोस में सरकार सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम का पड़ोस भी मांग लेना चाहिए!
ईद के दिन कोई साहिल मायूस नहीं जाता
Eid 2024- ईद उल फितर का दिन किस कदर अहम तरीन दिन है इस दिन अल्लाह ताला की रहमत निहायत जोश में होती है अगर बाजे खुदा बंदी दरबार ए खुदा बंदे से कोई साहिल मायूस नहीं लौटाया जाता एक तरफ अल्लाह के नेक बंदे अल्लाह की बे पाया रहमतों और बक्शीश ऊपर खुशियां मना रहे होते हैं तो दूसरी तरफ मोमिनो पर अल्लाह की इतनी कर्म नवादिया देखकर इंसान का बदतर इन दुश्मन शैतान जल भरकर कोयला हो जाता है शैतान की बदहवास ई हजरत सैयदना वह बिन 2अल्लाह ताला अनु फरमाते हैं कि जब भी ईद आती है शैतान चिल्ला चिल्ला कर रोता है इसकी बदहाली देखकर shayaneen उसके गिर्द जमा होगा पूछते हैं आप क्यों गजब नागौर उदास हैं वह कहता है हाय अफसोस अल्लाह ताला ने आज के दिन उम्मते मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम को बख्श दिया है लिहाजा तुम इन्हें nafs नर्स की ख्वाहिशों में लगा दो!
क्या शैतान कामयाब है देखा आपने शैतान पर ईद का दिन किस कदर गिरा गुजरता है लिहाजा वह अपनी वह अपनी जुर्रत को हुक्म सादर कर देता है कि तुम मुसलमानों को लग जाते नप्तानी में मशगूल कर दो हाथी जमाना शैतान अपने इस बार में कामयाब नजर आ रहा है सदा की ईद की आमद पर होना तो यह चाहिए ताकि इबादत तो की कसरत करके अल्लाह का ज्यादा से ज्यादा शुक्र अदा किया जाता मगर अफसोस अफसोस मुसलमानी दे शहीद का हकीकी मकसद ही भूल बैठे हैं.
हाय अफसोस अब तो ईद मनाने का यह अंदाज हो गया कि बेहूदा किस्म की उल्टी-सीधी डिजाइन वाले बल्कि माशाल्लाह जानवरों तक की तस्वीर वाले भड़कीले कपड़े पहने जाते हैं खूब रंगरेलियां मनाई जाती हैं नूर की महफिल की जाती है और किया जाता है और जी खोलकर वक्त तो दौलत दोनों को खिलाफ सुन्नतों शरीयत में बर्बाद किया जाता है हजार अफसोस हम अब इस मुबारक दिन को किस कदर गलत समझने लगे हैं मेरे भाइयों इन फैला पर श्राद्ध बातों के सबब हो सकता है कि यह ईद शहीद हमारे लिए युवाओं में वहीद बन जाए भाइयों अपने हाल पर रहम करो इस फैशन परस्ती और फिजूलखर्ची से बाल आ जाओ देखो तो सही अल्लाह ने फूल खर्चों को कुरान पाक में शैतान का भाई करा दिया है जो नाचे शाद होता है
(और फूल ना उड़ा बेशक उड़ाने वाले शैतान के भाई हैं और शैतान अपने रब का बड़ा नाजुक रहा है )
“कंजुल ईमान “
इंसानों हैवान का फर्क बहारे शरीयत में है कि जानवर या इंसान की तस्वीर वाला लिबास पहनकर नमाज पढ़ना मकरू है तेरी मां यानी करीब वह हराम है ऐसे कपड़े तब्दील करके या ऊपर दूसरा कोई लिबास पहनकर नमाज अदा करना वाजिब है “सगे मदीना”
किस कदर मजा मत कुराने पाक में batai हुई है याद रखिए इन फिजूल खर्चों से हरगिज़ हरगिज़ अल्लाह कुछ नहीं होता तो फिर हम क्यों ना हरकतों का एक्टिव का करके अल्लाह को भी नाराज करें और उसके प्यारे हबीब सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम को भी रंजीता करें मेरे भाइयों इंसान और हैवान में जो मां बेहिल इम्तियाज है वह अग्लो तदबीर दूरी दूर बिनी और doorandesi है उल हैवान को कल की फिक्र नहीं होती और आमतौर पर उसकी कोई हरकत दूर देशी के मातहत नहीं होती.
खिलाफ इंसानों के कि उन्हें न सिर्फ कल ही की बल्कि मुसलमान को तो इस दुनिया भी जिंदगी के बाद वाली उर्फ रवि जिंदगी की भी फिक्र होती है आखिर और दूर देश इंसान वही है बल्कि इंसान ही है जो कल की भी फिक्र करें और दूर देशी से काम ले मगर अफसोस आजकल इस दूरदर्शी का तो नाम तक नहीं रहा और अब इस पानी को कीमत मनाने जानते हुए आखिरत के लिए कोई इंतजाम नहीं किया जाता अब लोग अपनी जिंदगी का मकसद जिस तरह भी मुमकिन हो सके माल कमाना खूब बैठकर खाना पीना और फिर खूब गफलत की नींद सोना ही समझते हैं .
जिंदगी का मकसद क्या है जिंदगी का मकसद सिर्फ बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करना खाना-पीना और मजे उड़ाना नहीं है अल्लाह ने आकर हमें जिंदगी क्यों मरहम अता फरमाए आइए कुराने पाक की खिदमत में अर्थ करें कि अल्लाह की सच्ची किताब तू ही हमारी रहनुमाई परमा कि हमारे जाने जीने और मरने का मकसद क्या है कुराने असीम से जवाब मिल रहा है कि अल्लाह का फरमान है आलीशान है
(मौत और जिंदगी पैदा की तुम्हारी जांच हो “दुनिया भी जिंदगी में” तुम में किसका काम ज्यादा अच्छा है !)
यानी इस मौतों हयात को इसलिए takhleek किया गया ताकि आजमाया जाए कि कौन ज्यादा फरमाबरदार और मुखलिस है
ईद या वहीद वहीद वहीद खुराफात का हिंदी में माहौल बनाकर या में ईद को अपने लिए या में वही देना बना लो और याद रखो तर्जुमा यानी ईद उसकी नहीं जिसने नए कपड़े पहन लिए ही तो उसकी है जो आजा वेइलाई से डर गया औलिया इकराम भी तो ईद मनाते रहे हैं हम लोग तो सिर्फ नए नए कपड़े पहनते और लजीज हो उम्दा खाने खाने को ही समझ बैठे हैं जरा गौर करें हमारे असला फॉर बुजुर्गों ने दी थी तो आखिर ईद मनाते रहे हैं मगर उनके ईद मनाने का अंदाज ही निराला रहा है .
वह दुनिया की नजरों से कोसों दूर भागते रहे हैं कितने अफसोस की बात है कि हजरत है और औलिया इकराम तो हर हाल में नक्श की मुखालफत करते रहे और हम लोग हर हाल में नस से सर्कस ही के पैरवी करने में लगे रहे अल्लाह के वली हजरत सैयदना जुनून मिस्त्री रहमतुल्लाह ताला अन्हु की मानव शिकायत पड़ी और दसे दसे व्रत हासिल कीजिए हजरत है सैयदना शेख फरीदुद्दीन अपनी किताब dars किरतुल औलिया में फरमाते हैं हिकायत हजरत सैयदना जुनून मिश्री ने 10 बरस तक कोई लजीज खाना नहीं खाया nafs mangta raha और आप नक्श की मुखालिफत फरमाते रहे.
कि अपने nafs khana का हरगिज़ न मान लूंगा एक बार ईद मुबारक की मुकद्दस रात को दिल ने मशवरा दिया कि अगर कल ईद शहीद के रोज कोई नदी खाना खा लिया जाए तो क्या राज है इस मशवरे पर आप रहमतुल्ला ताला अनु ने भी दिल को आजमाइश में मुब्तिला करने की गरज से फरमाया कि मैं अपना पूरा कुरान खत्म करूंगा तू अगर इस बात में मेरे साथ राशि है और मेरा साथ दे तो कल अजीज खाना मिल जाएगा लिहाजा आपने दो रखा था कि और इनमें पूरा कुरान ए मजीद खत्म किया आपके दिल ने इस उम्र में आप का साथ दिया यानी दोनों रखते दिल से जमाई के साथ अदा कर ली गई .
आपने दूसरे रोज यानी ईद के दिन लजीज खाना मंगवाया निवाला उठाकर में डालना ही चाहते थे कि बेकरार होकर फिर रख दिया और ना खाया लोगों ने इसकी वजह पूछी तो फरमाया जिस वक्त में निवाला मुंह के करीब लाया तो मेरे ने कहा देखा मैं आंखें अपनी 10 साल की ख्वाहिश में कामयाब हो ही गया ना मैंने उसी वक्त कहा कि अगर यह बात है तो मैं तुझे हरगिस कामयाब ना होने दूंगा और हरगिज़ खाना खा लूंगा.
आप खाना खाने का इरादा तर्क कर दिया इतने में एक शख्स लजीज खाने का तबक उठाए हुए हाजिर हुआ और अर्ध कि यह खाना मैंने अपने लिए रात को तैयार किया था रात जब सोया तो किस्मत अंगड़ाई लेकर जाग उठी रात को ख्वाब में मैंने रसूले करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की जियारत का सिर्फ हासिल किया मेरे प्यारे प्यारे और मीठे मीठे आका ने मुझसे फरमाया अगर तू कल कयामत के रोज भी मुझे देखना चाहता है तो यह खाना जुनून रहमतुल्लाह ताला अन्हु के पास ले जा और उनसे जाकर के की हजरत मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अल्लाह ताला अन्हु फरमाते हैं कि दम भर के लिए नक्श के साथ सुलह कर लो or kuch Khana khalo
हजरत सैयदना जुनून मिश्री रहमतुल्लाह ताला अनु यह पैगाम ए रिसालत सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम सुनकर wajd में आ गए और कहने लगे मैं फरमाबरदार हूं मैं फरमाबरदार हूं और लजीज खाना खाने लगे सुभान अल्लाह .
ईद किस लिए है
सरकार सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की मोहब्बत से सरकार दीवानों सच्ची बात तो यही है कि ईद तो दरअसल उन्हें खुश वक्त मुसलमानों के लिए है जिन्होंने माहे मोहर्रम मोहतरम रमजान उल मोहर्रम के रोजा नमाज और दिगर इमारतों में गुजारा तो यह उनके लिए अल्लाह की तरफ से मजदूरी मिलने का दिन है हमें तो अल्लाह से डरते रहना चाहिए कि आप मोहतरम मां का हम हक अदा ही ना कर सके रमजान हमें मिले और हम उसे सही से इबादत भी ना कर सके!
सैयदना उमर फारूक रजि अल्लाह ताला अनु की ईद ईद के दिन लोग का शान ए खिलाफत पर हाजिर हुए तो क्या देखा कि आप रवि अल्लाह ताला अनहो दरवाजा बंद करके जा रो कता रो रहे हैं लोगों ने हैरान होकर ताजुक से अर्ज किया या अमीरुल मोमिनीन आज तो ईद का दिन है आज तो शादमानी ओ मुसर्रत और खुशी मनाने का दिन है यह खुशी की जगह रोना कैसा आप रजि अल्लाह ताला अनु ने आंसू पूछते हुए फरमाया है लोगों यह ईद का दिन भी है और वह ईद का दिन भी है आज जिसके नमाज और रोजा मकबूल हो गए बिना शुभा उसके लिए आज ईद का दिन है लेकिन आज जिस की नमाज और रोजा को मजबूत करके उसके मुंह पर मार दिया गया उसके लिए तो आज वही का दिन है और मैं तो हिसाब से रो रहा हूं तर्जुमा यानी मुझे यह मालूम नहीं कि मैं मकबूल हुआ या रद्द कर दिया गया हूं !
हमारी खुश पहनी सहमी खुश फहमी अल्लाह हू अकबर मोहब्बत वालों जरा सोचो सोचो वह फारूक ए आजम रज़ी अल्लाह ताला अन्हु जिनको माली के जन्नत ताजदार ए मदीना सल्लल्लाहो ताला वसल्लम ने अपनी हयाते शायरी ही में जन्नत की बशारत इनायत फरमा दी थी आपने फरमा दिया था कि फारूक ए आजम जन्नती हैं उनका रोजा और मकबूल ना हो यह कैसे हो सकता है यकीनन आप करो जब बोलता बेशक मकबूल तबला था मगर खुदा आप rhamat अल्लाह ताला अनु पर इस कदर था.
कि सिर्फ यह सोच सोच कर रहे थे कि ना मालूम मेरी रमजान उल मुबारक की आदत को भूल हुई या नहीं सुभान अल्लाह ईद उल फितर की खुशी मनाना जिनका Haq ho unka तो यह आलम हो और हम जैसे और बातूनी लोगों का आलिया की नेकी के नॉन के नुक्ते तक तो पहुंच नहीं पाते मगर हाल है कि हम जैसा एक और पार्षदों , nek शायद दुनिया में अब बाकी रहा ही ना हो इससे उन दानों को उसे हासिल करना चाहिए जो अपनी आदत पर नाज करते नहीं थे और एक आज रोजा मसाजिद की खिदमत कर खुदा की मदद वगैरा-वगैरा कामों को अपने हाल में कारनामा करते हुए हर जगह एलान करते फिरते हैं.
ढंडोरा pette नहीं thakte बल्कि अपने कामों की akhwarat बारात स्टाइल में तस्वीर तक छपवाने में गुरेज नहीं करते socialmediya par pik shear karet hai इनका किस तरह बनाया जाए इनको धीमी व कला की सोच किस तरह की जाए इन्हें किस तरह बाबर कराया जाए कि मेरे नादान भाइयों इस तरह बिना जरूरतें चढ़ाई अपनी नीतियों का ऐलान रियाकारी है और यह सरकार सल्ला वाले वसल्लम को बिल्कुल पसंद नहीं और रियाकारी सरकारी है ऐसा करने से न सिर्फ आमाल बर्बाद होते हैं बल्कि रियाकारी का * आंवला में दर्ज कर दिया जाता है और फोटो छपवा लिया का इतना शौक की फोटो जैसा भी ना छोड़ा गया कारी-कारी में मैं की मुसीबत कि आपसे हम सब मुसलमानों की हिफाजत फरमा आमीन या रब्बुल आलमी
शहजादे की ईद हजरत
सैयदना उमर रजि अल्लाह ताला अन्हा ने एक मर्तबा ईद के दिन अपने शहजादे को पुरानी कमीज पहने देखा तो रो पड़े शहजादे ने अर्ज किया प्यारे अब्बा जान आप रजि अल्लाह ताला अन्हु किस लिए रो रहे हैं आप ने फरमाया बेटे मुझे अंदेशा है कि आज ईद के दिन जब लड़के तुझे पीस फटे पुराने कमीज में देखेंगे तो तेरा दिल टूट जाएगा शायद शहजादे ने जवाब abba दिल तो उसका tutega jo Allah को ना पा सका या जिसने माया बाप की नाफरमानी की हो और मुझे उम्मीद है कि आप की रजामंदी के तोहफे अल्लाह ताला भी मुझसे राजी होगा यह सुनकर हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अनहो bete को गले लगाया और उसके लिए दुआ की .
शादियों की ईद
अमीरुल मोमिनीन हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज khidmat में betiya hazir hui और बोली बाबा जान कल ईद के दिन हम कौन से कपड़े पहने यही कपड़े जो तुमने पहन रखे हैं इन्हें आज धो लो और कल पहन लेना नहीं बाबा जान आप हमें नए कपड़े बनवा दे बच्चों ने जिद करते हुए कहा आप रजि अल्लाह ताला अनहो ने फरमाया मेरी बच्चों ईद का दिन अल्लाह की इबादत करने और उसका शुक्रवार लाने का दिन है नए कपड़े पहनना जरूरी तो नहीं.
बाबा जान आपका फरमाना बेशक सही और जरूरत है लेकिन हमारी sheliya और दूसरी लड़कियां hume tane देंगी कि तुम अमीरुल मोमिनीन रजि अल्लाह ताला अनु की लड़कियां हो और वही पुराने कपड़े पहन रखे हैं यह कहते हुए बच्चों की आंखों से आंसू भर आए बच्चों की बातें सुनकर अल्लाह ताला अनु का दिल भर आया आपने को बुलाकर ख्वाब क्या आपको यकीन है कि आप एक मात्र जिंदा रहेंगे अल्लाह ताला ने फरमाया तूने बेशक उम्दा और सही बात कही आ गया.
आप रजि अल्लाह ताला अनु ने फरमाया प्यारी बेटियों अल्लाह रसूल सल्लल्लाहो ताला वसल्लम की अपनी ख्वाहिशों को कुर्बान कर दो उस वक्त जन्नत काम नहीं बन सकता जब तक वह कुछ कुर्बानी ना दे या अल्लाह सुभान अल्लाह सुभान अल्लाह सुभान अल्लाह.
हम तो ऐसा सोच भी नहीं सकते आने से पहले हम कितने सारे कपड़े बना लेते हैं और फिर भी हमें ख्वाहिश आज इतनी होती है कि जो नया फैशन हम वही कपड़े लेंगे या अल्लाह हमें इससे और हमें भी को मारने वाला बना या अल्लाह हम पर रहम फरमा हमें भी इन shazadiyo की नकल करने वाला बनाएं दो की नकल करने वाला और खुदा के बताए हुए रास्तों पर चलने वाला बना या अल्लाह तमाम मुसलमानों के अल्लाह तमाम मुसलमानों पर रहम फरमा दे और ईद को तेरे बताए हुए ढंग से मनाने वाला बना दे.
या अल्लाह ईद को हमारे लिए ऐसी ईद बना दे जिसमें हमारी मकसद हो जाए और हमारी दुआएं कुबूल हो जाए हमें दुआ मांगने का तरीका दिखा दे हमें कुछ भी नहीं आता मेरे मौला हमारी ईद भी बेहतरीन और आला कर दें और हमें इस बीमारी से निजात दिला दें जो इस वक्त तमाम दुनिया पर छाई हुई है या अल्लाह इस दुआ के साथ इस पोस्ट को खत्म करती के इस ईद के बाद हमारे तमाम जहान के लोगों पर रहम होगा और हम इस कोरोनावायरस जैसी बीमारी से बच जाएंगे.
आमीन या रब्बुल आलमीन.
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