Muhummad s.a.w paidaish|Rabi ul awal|Muhummad s.a.w ki shan
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Muhummad s.a.w ki shan? [मुहम्मद स.अ.व. की शान?]
विलादते वासादत (पैदाइश): हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पैदाइश में इकतिलाफ है! मगर मशहूर रिवायत यही है कि 'वाकिए आशावे फील' से पचपन दिन के बाद 12 रबी यू'एल अव्वल मुताबिक 20/अप्रैल/571 विलादते वासादत की तारीख है! एहले मक्का का भी ईए पर अमल है कि वो लोग भी बार्बी 12 रबी उल अव्वल को कसाना ए नबुवत की ज़ियारत के लिए जाते हैं।
और वहां मिलाद शरीफ की महफिल मनाते हैं तारीख ए आलम में या वो निराला और अजमत वाला दिन हैं आप हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुनिया के तसरीफ लाए तो पाकीजा बदन नफ बुरीदा खतना किए हुए खुशबू में बसे हुवे मक्का मुकर्रमा की सर जमीन पर तसरीफ लाए.
बाप कहां थे जो उनको बुलाया जाता था दादा को बुलाया गया जो हमें वक्त तवाफ ए काबा में मसरूफ दे या खुशखबरी सुनकर दादा अब्बू मुतालिब कुश कुश हरम ए काबा से अपने घर आए और भरपूर जोशे मोहब्बत में अपने पोते को कलेजे से लगाया काबा में ले जाकर खैरो बरकत की दुआ मांगी मोहम्मद नाम रखा आपके चाचा अबू लहब की लौंडी सुबेबा खुशी से भागती हुई आई या अब्बू लहब को भतीजा पैड़ा होने की खुशखबरी दी तो खुशी में शहादत की उंगली के इशारे से ऐ सुबेबा को आजाद कर दिया!
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मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैइदाइश की जगह
जिस मुक़द्दस मकान में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की विलादत हुई तारिक इस्लाम मुझे उस मकान का नाम “मिलादी नबी” (नबी की पैदाइश की जगह) ये बहुत ही बरकत वाला मकाम है इस्लामी बादशाहों ने इस दिन की ख़ुशी में ये इमारत बनाई थी।
जहां त तमाम दुनिया से आने वाले मुसलमान दिन रात महफ़िले मिलन शरीफ़ माने सलात वा सलाम पड़ते रहते थे! जब हज पर वहाबी हुकूमत का कब्ज़ा हुआ तब जन्नतुल मुहल्ला जन्नतुल वाकी की कब्र के साथ नजदी हुकूमत इस मुक़द्दस यादगार तोड़ फोड़ कर गिरा दिया
मुहम्मद स.अ.व के दूध पीने का ज़माना
सबसे पहले हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अबू लहब की लौंडी हज़रत ए सुबेबा का दूध पिया फ़िर अपनी वलीदा मजीदा हज़रत आमिना के दूध देखें सेरब होते रहे फिर हज़रत हलीमा सादिया आप को अपने साथ ले गई अपने घर में रख कर दूध पिलाती रही।
उनके पास आपके दूध पीने का जमाना गुजरा!! अरब के बड़े-बड़े लोगो की आदत थी के अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए करीब के देहातो में भेज देते थे! वहां रह कर उनके बच्चों की सेहत अच्छी होती थी और साथ में अरबी ज़बान भी सीखी जाती थी।
हज़रत हलीमा का बयान
मैं ‘बानी साद’ की औरत के साथ दूध पीने वाले बच्चों की तलाश में मक्का चली उस साल अरब में बहुत ही मुश्किल कॉल पड़ा हुआ था मेरी गॉड में एक बच्चा था मगर भूख की वजह से तड़पता रहा मेरी छतियो में इतना दूध नहीं था जो उसको काफी हो हमारा काफिला मक्का मुकर्रमा पहुंचा तो जो औरतें रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखती है।
या ये सुनती के ये यतीम है। तू कोई औरत आपको लेने के लिए तैयार नहीं होती यतीम होने की वजह से ज्यादा इनाम मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी इधर हजरत हलीमा सैयदना सादिया की किस्मत का सितारा सूर्या से ज्यादा बुलंद और चांद से ज्यादा रोशन था उनके दूध की कामी उनके लिए रहमत की का सबब बनेगा दूध की कमी आई होने की वजह से आपको किसी
अपना बच्चा नहीं दिया हज़रत हलीमा सादिया ने अपने सोहर “हैरिस बिन अब्दुल उज्जा” देखें कहा ये तो हो नहीं सकता कि मुख्य वापसी काली हाथ चालू इसे से तो बेहतर है कि यतीम वह को साथ ले चालू सोहर ने इसको मंजूर कर लिया हजरत हलीमा यतीम को ले आई जिसे अमीना के घर में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उजाला होने वाला था हजरत हलीमा की सोई हुई किस्मत जाग गई
सरवरे कायनात सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उन की खुदा में आ गए जब दूध पिलाने बैठी तो बारिश नबुवत का जहूर हो गया खुदा की शान देखिये कि हजरत हलीमा के पिस्टन में दूध भर गया इस कादर दूध हुवा के उनके रजाई भाई ने भी खूब पेट भर कर दूध पिया दोनो आराम से सो गये उधर उउटनी को देखा तो उसके थानो मैं भी दूध भर गया था दोनो दूध पी कर आराम से सो गये?
मुहम्मद स.अ.व की रहमत
हज़रत हलीमा का शोहर हुजूर रहमत ए आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की या बरकत देख कर हेयरन रह गया कहने लगा के हलीमा तुम बड़ा ही मुबारक बच्चा लेकर आई हो हजरत हलीमा ने कहा हा मुझसे भी यही उम्मीद है कि नेहयात वह बरकत वाला बच्चा है!
ख़ुदा की रहमत बनकर मिला है मुझे यही उम्मीद है कि अब हमारा घर ख़ेर बरकत से भर जाएगा हज़रत हलीमा फरमाती है कि हम बच्चों को लेकर चले तू मेरा ख़्याल इस कदर तेज़ चलने लगा कि किसी का भी ख़र्च इतना तेज़? काबिले की औरतें होकर मुझसे कहने लगी क्या ये वही खर्चा है? हम अपने घर पहुंचें वहां सूखा पड़ा हुआ था तमाम जानवरो के थनौद में दूध सुख चुका था लेकिन मेरे घर में कदम रखते थे।
मेरी बकरी के थानो मैं दूध भर गया लोग भी अपनी बकरीयां वहां चरने लगे जहां हलीमा की बकरीयां चरती थी वहां लोग भी अपनी बकरीयां चराने लगे ये कोई चगाहा या जंगल का कमाल नहीं था यातो रहमते आलम की बरकत ओ का नुजुल था यहां टिकी दो साल प्योर हो गए मैंने अपना दूध चूड़ा दिया, आपकी तंदुरुस्ती और बढ़ाने का हाल ये था कि आप दूसरे बच्चों से इतना अच्छा ह्वे दो साल में खूब अच्छे बड़े मालूम होने लगे।
अब हम दस्तूर के मुताबिक रहमते आलम को उनकी मां के पास लाए या उन्हें जितना उनके पास से गुजरना था उसका हिसाब देखें इनाम इकराम देखें नवाजा। कायदे के मुताबिक अब हमीं रहमते आलम को अपने पास रखने का कोई हक नहीं था मगर आप की बरकत है नवंबर की वजह से एक लम्हा के लिए भी हमको आप की जुदाई गवारा नहीं थी अजीब इत्तेफाक था कि इस साल मक्का में वह बिमारी विफल हुई थी .
हमने इस बीमारी का बहाना करके हुजूर को ले जाने को राजी कर लिया फिर हम रहमते आलम को वापस अपने घर ले आए हमारा घर रहमत हो और बरकतों से फिर भर गया अब हम नेहायत कुश वह खुर्रम रहने लगे घर से बाहर निकलते और दूसरे बच्चों को खेलते हुए देखते मगर खुद हमेशा हर किस्मत खेल खेल खुद से अलग रहते हैं!
मुहम्मद स.अ.व का साके सदर (सीन का चक किया जाना)
एक दिन आप चारगाह में थे कि एकदुम हज़रत हलीमा के बेटे जमरा डोरटेउर हफ़्ते कप ते अपने घर पर आये और अपनी माँ हज़रत बीबी हलीमा से कहा कि अम्मी जान बड़ा ग़ज़ब हो गया है मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को लिता है जो बहुत ही सफ़ेद लाइबा स्पानवे है चिट लेटर कर उनका पेड़ फाड़ डाला है मैं उसकी हाल मैं उनको चोद कर भाग आया हूं।
ये सुन कर हज़रत हलीमा और उनके शौहर डोनोन बदहवास होकर घबराये हुए। जंगल में पाहुंचे या देखा कि आप बैठे हुए मगर हदबे से चेहरा पिला और उदास है प्यार से आप की पेशानी को चूमकर पूछा के बेटा क्या बात है आप ने फरमाया अम्मी 3 शक्स जिन के कपडे बहुत हाय सफेद थे मेरे पास आए और मुझको चित लिटा कर मेरा पेट चक कर के हमसे कोई चीज निकल कर बाहर फेक दे एफआईआर कोई चीज मेरे पेट में डाल कर पेट को देख दिया लेकिन मुझे जरा बराबर भी तकलीफ नहीं हुई हां वाकिया सुनकर हज़रत हलीमा और उनके शौहर डोनो घबरा गए।
शोहर ने कहा हलीमा मुझे डर है कि उनके ऊपर शायद कुछ आसिब का असर है तुम बहुत जल्दी हो उनके घर वालों के पास छोड़ आओ क्योंकि इस वाकिये को सुनकर दिलों में खोफ पैदा हो गया था मक्का में पहुंच कर आपको आपकी वालिदा मजीदा केके सपोट किया आमिना ने पूछा कि हलीमा तुम तो बड़ी ख्वाहिश और चाचा के साथ मेरे बच्चे को अपने घर ले गई थी फिर इस कादर जल वापस ले आने की वजह क्या है।
जब हज़रत हलीमा ने पेट चाक करने का वाकिया बयान किया और आसेब उबा ज़हीर किया तो हज़रत बीबी अमीना ने फरमाया कि हरगिज नहीं खुदा की कसम मेरे नूर नागाज पर कभी भी किसी जिन्हा शैतान का अमल दखल नहीं हो सकता मेरे बेटे की बड़ी शान ह हजरत हलीमा आपको आपकी वलीदा मजीदा के सुपुद करके अपने गांव वापस से गई आप अपनी वलीदा मजीदा की आगोश में परवरिश पाने लगे!
मुहम्मद स.अ.व का (सक्के सदर कितनी बार हुआ)
हज़रत मौलाना शाह अब्दुल अज़ीज़ साहब रज़ी अल्लाह ताला अन्हु ने सूरए आलम नशरा की तसवीर में तफ़सीर में तहरीर फरमाया है कि चार मरतबा आपका मुक़द्दस सीना चक किया गया हमसे नूर या हिकमत का ख़ज़ाना भरा गया पहली बार जब आप हज़रत हलीमा के घर जिसका ज़िक्र हो चूका है उसकी हिम्मत जा ठीक ही बोलो सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम।
बसवाशे ख़यालत से मेहबूब रहे दूसरी बार 10 बरस की उमर में हुआ दौरा कि जवानी की पुरबसो एक बेख़ौफ़ हो जाए तीसरी बार गारी हीरा में आपके दिल में नूर सकीना भर दिया गया ताकि आप (अल्लाह का पैग़ाम) भारी भरकम भोज को बर्बाद कर सकें चौथी मरतबा मेराज मैं आपका मुबारक सीना चक करके नूर और हिकमत के कज़ानो से भरा गया ताकि इतनी ए सिलाई पैदा हो जाएगी दीदार इलाही की तजल्ली और कल में रब्बानी की आदतन और अज़मतैन को बर्दाश्त कर सके.
मुहम्मद स.अ.व का उम्मे ईमान.
जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहिस्सलाम हज़रत हलीमा के घर से मक्का मुकर्रम अपनी वलीदा के पास रहने लगे तो हज़रत उम्मे ऐमान जो आपके वालिद माजिद की नौकरानी थी आप की खातिर और खिदमत में दिन रात जी जन्न देखें मसरूफ रहने लगी
मुहम्मद स.अ.व के बचपन की अदाएँ
हज़रत ए हलीमा का बयां है कि आप का झूला फरिश्तों से हिलता था बचपन में चांद की तरफ उंगली उठा कर इशारा फार्मा थे तू चांद आप की उंगली के इशारों से चलता था जब बचपन की आदत के मुताबिक कभी भी अपने कपड़े में पेश किया जाता था पहचान नहीं फरमाया।
अगर कभी आपकी शर्मगाह खुल जाती तो आप रो कर फरियाद करते जबाब तक आप की शर्मगाह ना छुप जाती आपको चेन नहीं आता था शर्मगाह छुपाने में देर हो जाती तो गेब से कोई आपके शर्मगाह छुपा डेटा जब आप पारो चलने के काबिल हुवे तू बाहर निकल कर बच्चों के देखते मगर खुद खेल कूद में शामिल नहीं होते!
मुहम्मद स.अ.व की दुआ से बारिश
एक मरतबा मुल्के अरब में इंतेहा खोफनाक सुखा पड़ गया था इसलिए एहले मक्का ने बूटो से फरियाद करने का इरादा किया मगर एक हसीना जमीन बुड्ढे ने मक्का वाले से कहा कि एहले मक्का हमारे अंदर अबू तालिब मौजूद हैं जो बानी ए काबा हजरत इब्राहीम खलीलुल्लाह की नसल से काबा के मुतवल्ली और सज्जादा नशीन भी हैं।
हमें उनके पास चलकर दुआ की अर्जी करनी चाहिए सब लोग अबू तालिब की खिदमत में हाजिर हुए या फरियाद करने लगे अबू तालिब सुखे की आग ने सारे अरब को झुलसा कर रख दिया है आप बारिश के लिए दुआ कीजिए एहले अरब की फरियाद अबू तालिब का दिल भर गया हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपने साथ हरमे कब्बा में ले गए।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को दीवारे काबा से टेक लगा कर बैठा दिया और दुआ मंगना में मसगूल हो गए दरमियाने दुआ में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने अंगुस्ते मुबारक को आसमान की तरफ उठा दिया एकदुम से चारो तरफ से बदलिया आ गई और जोर की बारिश हुई
अरब की ज़मीन शेरब हो गई कहत ख़तम हो गया और कल कट गया सारा अरब ख़ुशहाल या नेहाल हो गया.
मुहम्मद स.अ.व का उम्मी लक़ब:
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का लाकव उम्मी है उम्मी का मालतब मक्का मुकर्रमा में रहने वाले ए या उम्मी का ये मतलब है कि अपनी दुनिया में किसी इंसान से लिखना पढ़ना नहीं सिखाया हाँ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का बहुत ही बड़ा मोजिजा है के दुनिया में किसी ने भी आप को नहीं पढ़ाया लिखाया खुदा ने आपको इस कादर इल्मा अता फरमा आप के उम्मी लकाब होने पर हकीकत राज क्या है इसको तो खुदाबंदआलम लोहार के सिवा को और कौन बता सकता है लेकिन बजाहिर इसमें चांद हिकमते और फवादे मालूम होते हैं
फेला, हां कि तमाम दुनिया को इल्म या हिकमत सिखाने वाले हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हो या आप का उस्ताद सिर्फ खुदाबंदे आलम हो ताकि कोई ये ना कह सके पैगम्बर तू मेरा पैदाया हुआ शागिर्द है
दूसरा: हां कोई शक्स कभी ये ख्याल ना कर सके कि फूला आदमी हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का उस्ताद था तो शयाद वजू सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ज्यादा इल्म वाला होगा!
तीसरा: हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में कोई गुमान न कर सके कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पढ़े लिखे आदमी थे इसलिए अनहोन खुद हे कुरान की आयतों को .अपनी तरफ से बना कर पेश कुरान उन्हीं का बनाया हुआ कलाम है!
चौथा: जब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सारी दुनिया को किताब और हिक्लमत की तालीम दे तोर कोई ये ना कह सके कि पहली और पुरानी किताब को देख कर इसके कि अनमोल इंकलाब पैदा करने वाली तालीमत दुनिया के सामने पेश कर रहे है!
पंचवा: अगर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का कोई उस्ताद होता तो आपको उसकी ताज़ीम करनी पड़ती हलकी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह ताला ने इस तरह पैदा फरमाया था कि सारा आलम आप की ताज़ीम करे!
सफरे शाम या बुहेरा: जब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उमर शरीफ बारह बरस की थी तो हमें वक्त अबू तालिब ने तिजारत की गरज से देखने के लिए मुल्के शम का सफर किया अबू तालिब को हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बहुत ही ज्यादा मोहब्बत थी इसलिए आपका भी सफर मैं साथ ले गए हुजूर अकदस सल्लल्लाहु अलैहि व सलाम ए लानानाबुवत से फले तीन बार तिजारती सफर फरमाया दो मरतबा मुल्के शाम गए एक मरतबा यमन तसरीफ ले गए ये मुल्के शाम का पहला सफर है सफर के दोरान
बुसरा में बुहेबा रहीब इस (इसाई फकीर) के पास आप का रुकना हुआ उसने ने तोरे और इंजील में बयान की हुई नबी आखिर उज्जुम्मा की निशानियां से आप को देखते ही पहचान लिया बहुत हाय अकीकत और एहतराम के साथ उसने आपके काफिला वालों की दावत की अबू तालिब से कहा कि ये सारे जहां की सरदार या रबुल आलमीन के रसूल है जिनको खुदा ने रहमतुल लिल आलमीन बना कर भेजा है मैंने देखा है की पेड़
पत्थर इनको सजदा करते हैं बादल पर साया करता है उनके दानो शानो के बीच मुहारे नबुवत है इस तरह तुम्हारी और उनके हक में यहीं बेहतर होगा की अब तुम इनको लेकर आगे ना जाओ अपना आदमी तिजारत यहीं भेज कर मक्का चले जाओ क्योंकि मुल्के शाम में यहूदी लोग इनके बहुत बड़े दुश्मन हैं वहां जाते ही वो लोग इनको शहीद कर डालेंगे बुहेरा रहिब के कहने से अब्बू तालिब को खतरा महसूस होने लगा वही अपनी तिजारत का माल बेच दिया बहुत जल्दी हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को अपने साथ लेकर मक्का मुकर्रमा वापस आ गए बुहेबा रहिब ने चलते वक्त इम्तिहान ए अकीदत के साथ आपके सफर का कुछ तोशा भी दिया!
नोट: लिखने में हमसे कोई गलती या खाता हो गई हो तो जरूर हमारा इस्लाह करे जजाक अल्लाह खेर
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Hamre nabi Mohammad Mustafa sallallahu alaihi wasallam ki paidaish tarikh 9 rabiulawwal ya phir 12 rabiulawwal please tell me dono me different kya hai log aisa kyou mante hai ke 9 ke hai
12 Ravi ul Awwal ko subah Sadiq ke waqt hui thi yani fajar ke waqt