Muhummad||s.a.w(QISSA) HIJRAT-E-HABSHA
Muhummad||s.a.w QISSA [मुहम्मद||स.अ.व किस्सा हिजरत-ए हब्शा पैगम्बर मुहम्मद का मदीना में प्रवास मदीना में पैगम्बर मुहम्मद का आन क्या है।
Muhummad||s.a.w QISSA HIJRAT-E-HABSHA
Muhummad-Hijrat-e-Habsha❤️मुहम्मद-हिजरात-ए-हब्शा❤️
और फिर कुफ्फार ने बहुत ही ज़ुल्म और मुइबतौन का सिलसिला शुरू कर दिया। जब आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन मुश्किललात को देखा तो अपने साहबा अकरम को फरमाया कि अगर तुम हब्शा को चलाओ तौ बहुत बेहतर होगा।
किउन के वहां का बादशाह केसी पर ज़ुल्म नहीं करता और वो सचाई की सर-ज़मीन है। यहां तक कि खुदा कुशादगी फरमा दे और शक्ति ओ मुसिबत को हम से डर करदे।
एहलां ए नबुवत के 5 रास्ते साल रज्जब के महीने में 11 मार्च 4 औरत ने हब्शा की जानिब हिजरत की
हिजरत करने वालों में हज़रत उस्मान सर-ए-फ़ह्रस्त थे जो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बेटी हज़रत रुकय्या जो हज़रत उस्मान की बीवी थी, उनके साथ तशरीफ ले आए। और जाफ़र बिन अबी तालिब भी पैश पैश थे
हिजरत-ए-हब्शा (क़िसा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
अब्दुल कादिर जिलानी |हिंदी में अब्दुल क़ादिर जीलानी
हिजरत करने वाले कुल लॉग 83 थे.. छोटे बचाय अलग थे.❤️
फिर कुरैश को इस पर भी सब्र न आया बुलाके अपना ऐक वफद/ग्रुप शाह-ए-निजाशी को युद्धलाने के लिए रावना किया।
…मगर उन के मुक़ाबले में हज़रत जाफ़र तय्यर र.अ. ने निज़ाशी के सामने ज़बरदस्त तक़रीर की और क़ुरान में सुरा-ए-मरियम का दूसरा रुकु पारह कर सुनाया, जिस में मरियम ए.एस का ज़िक्र है।❤️
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निजशी हमें सुन कर रो पराए और कहा कि ये हक है! अगर मैं दस्तूर ए सल्तनत के मुताबिक तकते शाही पर रहने का पावंद न होता तो मैं खुद मक्का जाकर रसूल अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जूतियां सीधी करता और उनके कदम दोता! बादशाह की तक़रीर सुनकर उसके दरबार में जो कहा गया किस्मत के इसाई थे वो नाराज़ हो गए!❤️
हिजरत-ए-हब्शा (क़िसा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
मगर नजाशी बादशाह ने जोश ए इमानी में सबको डांट फटकार कर खामोश कर दिया, कुफ्फारे मक्का के तोहफो को वापस लौटा दिया! फिर कुरैश के वफ़ाद को नामुराद वापसी कर दिया! मुसलमानों से कह दिया कि तुम लोग मेरी सल्तनत में जहां चाहो अमन और सुकून के साथ आराम और चैन की जिंदगी बसर करो कोई तुम्हारा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता!❤️
नजाशी बादशाह मुसलमान हो गया था! उसका इन्तेक़ाल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मदीना मुनावरा में उसकी नमाज़ ए बी जनाज़ा पढ़ी हलकी नजाशी बादशाह का इन्तेक़ाल हब्शा में हुआ था! वो हब्शा में दफ़न भी हुए मगर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लस के बिना उनकी नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ कर उनके लिए दुआ -ए-मग़फिरत फरमायी!❤️❤️
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आपकी टिप्पणियाँ सेही हमें पता चलता है क्या कामी बी क्या ठीक है शुक्रिया दुआ में याद देखियेगा अगली पोस्ट मुझे मिलेगी इंशा अल्लाह।