QURAN KYA HAI (कुरानالقرآن, अल-क़ुर्’आन ) यह Ek Aisa सवाल है जो गैर मुस्लिम लोगों के दिमाग में अक्सर आता है ki QURAN KYA HAI जिसका जवाब वो तलाश करते हैं Quran me Jer Jabar kaha se aaye ? और भी बहुत सारे सवाल लोगों के दिमाग में आते रहते हैं जैसे Quran kab se nazil hua ? मुसलमान लोग भी इसके बारे में सोचते हैं कि आखिर कुरान है क्या और कुरान कहां से आया कैसे आया औरQuran ke kounse nuskhe jalaye gaye ?आज हम इसी पर बात करेंगे कि कुरान है क्या what is Quran चलिए शुरू करते हैं!
Quran ki Tareef
अल्लाह ताला की वह एक paak किताब है जो अल्लाह तबारक व ताला ne अपने हबीब मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम पर नाजिल फरमाया कुरान में 6666 आयते हैं 114 surh hai Quran Ki Surah को मक्की या मदनी सूरत कहकर भी पुकारा जाता है मक्की Surah who होती है जो हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम पर मक्का में नाजिल हुई और मदनी सूरत वह होती है जो उर्दू सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम पर मदीने में नाजिल हुई
कुरान के जैसी कोई दूसरी किताब कहीं नहीं न दुनिया में ना आसमान पर अल्लाह ताला की चार किताबें हैं जिसमें कुरान का मुकाबला कोई किताब नहीं कर सकती कुरान लगभग 1400 साल पहले नाजिल हुआ “क़ुरआन” शब्द का पहला ज़िक्र ख़ुद क़ुरआन में ही मिलता है जहाँ इसका अर्थ है – उसने पढ़ा, या उसने उचारा।
इसके अलावे भी क़ुरआन के कई नाम हैं। इसे अल फ़ुरक़ान(कसौटी), अल हिक्मः (बुद्धिमता), धिक्र/ज़िक्र (याद) और मशहफ़ (लिखा हुआ) जैसे नामों से भी संबोधित किया गया है। क़ुरआन में अल्लाह ने 25 Ambiya का ज़िक्र किया है।कुरान शब्द कुरान में लगभग 70 बार प्रकट होता है,
कुरान खुद को “समझदारी” (अल-फ़ुरकान), “ग्रंथो की माँ” (उम अल-किताब), “गाइड” (हुदा), “ज्ञान” (हिकमा), “याद” (ज़िक्र) के रूप में बताता है ।
कुरान की आखिरी आयत Sal 10वीं हिजरी में धू अल-हिजजाह के इस्लामी महीने के 18 वीं तारीख़ को नाजिल हुई थी, जो एक तारीख है जो मोटे तौर पर फरवरी या मार्च 632 से मेल खाती है । हुजूर सल्लल्लाहो ताला ने वाले वसल्लम ने गदीर ए खुम्म में अपना खुतबा देने के बाद यह खुलासा किया था।
?कुरान के बारे में कुछ Khaas nukte ( Important things about Quran)
?कुरान पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब है।
?कुरान में 30 पाठ है, 114 अध्याय है (जिन्हें सूरत कहते हैं), हर अध्याय में श्लोक हैं जिन्हें आयत कहते हैं, कुरान में 6666 आयतें हैं, कुछ के अनुसार 6238।
?पूरे 22 साल 5 महीने और 14 दिन लगे थे कुरान को पूरी तरह उतरने में।
? कुरान पहली बार आखरी नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम पर मक्का की एक वफा जिसे गारे हीरा कहते हैं उसमें नाजिल हुआ था
MEANING|| OF INSHAALLAH|| IN HINDI , ENGLISH||ISLAMIC NELOFAR AZHARI
Quran kese nazil hua
अल्लाह तबारक व ताला ने कुरान ए मजीद में इरशाद फरमाया:
रमजान वह महीना है जिसमें हमने कुरान को नजूल फरमाया
रमजान के महीने में किस वक्त में कुरान हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलीवाले वसल्लम पर नाजिल हुआ इसके लिए अल्लाह तबारक व ताला ने सूरह अल कौसर में इरशाद फरमाया
” Humne Quran ko shabe Qadar mein nazil kiya”
बुखारी शरीफ जिल्द 6 में कुरान से मुतालिक बेशुमार हदीस मौजूद है कुरान हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम पर कैसे नाजिल हुआ इस पर हम गौर करेंगे हां यह बात सही है कि कुरान नाजिल होने से पहले हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम को पढ़ना और लिखना नहीं आता था जब कुरान नाजिल हुआ उसके बाद ही आप को पढ़ना और लिखना आया
अल्लाह के रसूल हुजूर सल्लल्लाहो ताला ने वाले वसल्लम के बारे में अल्लाह तबारक व ताला खुद कुरान में गवाही देता है
“Mere Nabi (Sallallahu Alaihay Wasallam) is kitab ke nuzul se pahle na kuch padh sakte they aur na likh saktey they, agar inhe padhna likhna aata tou kafir kehtey ke Nabi ne khud Quran bana liya” (29:48)
तो यह बात वजह थी कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम खुद पढ़ना लिखना नहीं जानते थे Encvclopedia Britannica भी इसकी गवाही देती है कि जितने भी तारी के हवाले देखे जाएं स्टोरीकल एविडेंस मिलते हैं उससे यही मालूम होता है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम को पढ़ना लिखना नहीं आता था हां कुरान के अनुसार के बाद नबी करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम को सभी कुछ पढ़ना लिखना आ गया था अल्लाह तबारक व ताला के हुक्म से इससे मालूम हुआ कि अल्लाह तबारक व ताला पल में जो चाहे वह कर सकता है वह बड़ा मेहरबान रहमत वाला है उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं किसी को भी कुछ भी सिखा देना वह पल में जो चाहे वह कर सकता है
Namaz ya salat me surh ka padhna
कुरान का पहला सूरा सूरा ए फ़ातिहा रोज की जाने वाली इबादत तो मैं (q) और अन्य अवसरों में पढ़ा और दोहराया जाता है। यह सूरा, जिसमें सात छंद होते हैं, कुरान का सबसे अधिक बार पढ़ा जाने वाला सूरा है:
जिसका मतलब यह है यानी मायना
शुरू करता हूँ ख़ु़दा के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है; सब तारीफ ख़ु़दा ही के लिए हैं ज़ो सबक़ा रब अौर मालिक़ है; और सारे जहाँन का पालने वाला बड़ा मेहरबान रहम वाला है; रोज़े जज़ा का मालिक है; ख़ु़दाया हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद चाहते हैं; तो हमको सीधी राह पर साबित क़दम रखवा; उनकी राह जिन्हें तूने (अपनी) नेअमत अता की है न उनकी राह जिन पर तेरा ग़ज़ब ढ़ाया गया और न गुमराहों की। “
कुरान को छूने से पहले वुजु करना लाजिम है कुरान को पढ़कर जो भी दुआ मांगी जाती है वह कुबूल होती है .
Quran Asman se zamin par kese aya
हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि जिब्राइल अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से मेरे पास Aayate लेकर आते रहें जब भी अल्लाह ताला जिब्रील अलैहिस्सलाम को हुक्म देता तो जिब्राइल अलैहिस्सलाम मेरे पास आयत लेकर आ जाते यही तरीका था अल्लाह के पास से कुरान ane ka यानी हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम तक Quran nazil hone ka (आने का)
हम समझते हैं कि कुरान 30 paaro में नाजिल हुआ जबकि यह गलत बात है कुरान को 30 पारा में इसलिए बांटा गया है कि आसानी से पढ़ा जा सके याद रखिए पारा कोई चीज नहीं होती क्योंकि अरबी में पा नहीं आता यू उर्दू और फारसी लव्स है
यह जो 114 surah है, इनको अल्लाह तबारक व ताला ने 23 साल यानी (23years) main नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की हयात मुबारक आज तक अलग अलग मकान पर छोटी-छोटी सूट तो में नाजिल फरमाया इसे पूरा होने में 23 साल लगे जिब्राइल अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम के पास आते और आपको आयते मुबारक का सुनाते और आपको हिप्स करवाते आप पर आयत नाजिल फरमाते और आपको याद करवाते जिस के ताल्लुक से कुरान में ही अल्लाह तबारक व ताला ने इरशाद फरमाया
“Aye mere Nabi! iski tilawat me jaldbaji se apni Zaban mat feriye , hum aapko iski Qiraat karayenge, iske maney samjhayenge aur isey jama karke aapko de dengey.”(75:16-19)
अल्लाह के हुक्म से नबी करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम को जिब्राइल अलैहिस्सलाम के जरिए अल्लाह रब्बुल इज्जत कुरान की आयते सिखाते फिर एक रमजान से अगले रमजान तक जितना कुरान नबी करीम सल्लल्लाहो ताला ले वाले वसल्लम पर नाजिल हो जाता उतना पूरा हिस्सा जिब्रील अलैहिस्सलाम आपसे बार-बार सुनते ताकि आप सल्लल्लाहो ताला वसल्लम को अच्छे से हिप्स (yaad)हो जाए
हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम को जितना हिस्सा कुरान जिब्रील अलैहिस्सलाम नाजिल फरमा थे आप उसे याद कर लेते और अपने सहाबा को भी बता देते sahaba use हुजूर की बताई हुई आयातो को याद करने के लिए उनके जमाने में जो कुछ भी लिखने के वसीला हुआ करते थे उन पर वह आया ते लिख लेते जैसे पत्थर पर खजूर के दरख़्तों के पत्तों पर जिस तरह भी लिख सकते थे लिख लिया करते और उसे अपने घरों में महफूज रख देते और उसे याद करने की कोशिश करते करते और बड़ी मोहब्बत के साथ संभाल कर रखते इस तरह अलग-अलग मौकों पर कुरान नाजिल हुआ और सहाबा इकराम ने हमेशा हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम की मोहब्बत के साथ-साथ कुरान से भी बेपनाह मोहब्बत की
1 दिन हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अन्हा हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला अन्हा के पास आए और कहने लगे अमीरुल मोमिनीन अगर huffaz इस तरह खत्म हो जाएंगे तो कुरान अलग घरों में अलग-अलग हिस्सों में रखे हुए हैं हम एक काम करते हैं आप सब से कहिए कि जो भी कुरान का हिस्सा उन्हों ने लिखा था वह पूरा ले आए हम हाफिज ए कुरान को bithaenge पूरे Quran को तरतीब से जमा करेंगे और जमा करके एक जगह सी देंगे!
लिहाजा वैसा ही किया गया एक नुस्खा बनाया गया
उस वक्त में कुरान ने पहली मर्तबा किताब की शक्ल ली और उसको रखा गया उम्मत उल मोमिनीन आयशा सिद्दीका रजि अल्लाह ताला अन्हा के घर में फिर कुछ वक्त के बाद जब उमर रजि अल्लाह ताला अन्हा खलीफा बनाए गए तो उस नुस्खे को लाया गया उमर रजि अल्लाह ताला अन्हा के घर!
नबी करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम की दुनिया से रुखसती यानी दुनिया से पर्दा फरमाने के बाद अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला अनु मुसलमानों के पहले खलीफा बने आप की खिलाफत में
“Muselima Kajjab” नाम के एक शख्स ने नबूवत का दावा किया हजरत अबू बकर सिद्दीक ने उस kajjab से जिहाद किया उस जन्म में तकरीबन 70 सहाबा इकराम शहीद हो गए जो हाफिज ए कुरान थे.
Quran me Jer Jabar kaha se aaye ?
कुरान ए मजीद की उन सात कॉपी में जेल जबर नहीं थे इसलिए क्योंकि वह अरबिया की माद्री जवान यानी मदर टंग थी जैसे के उर्दू हमारी जबान है और इसे समझने और बोलने के लिए हमें jer Zabur की जरूरत नहीं पड़ती
Lekin Hajjaz bin yusuf ने देखा के मैं रंगो को मुझ मुश्किल हो रही है बगैर zer zabar के लिखने और पढ़ने में और कुरान समझने में लिहाजा उन्होंने कहा कि जो Tajwid हैं उसके हिसाब से jer जबर लगाएंगे लिहाजा उन्होंने zer जबर लगवाए और फिर वह कॉपी भी मशहूर हो गई लेकिन जो Tajwid और किरत है यह बिल्कुल उसी से हूबहू मिलती जुलती है जो उस्मान रजि अल्लाह ताला अनहो के जमाने में
Quran ke kounse nuskhe jalaye gaye ?
हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अन्हा की शहादत के बाद हजरत उस्मान रजि अल्लाह ताला अनहो का dowry खलीफा आया उस्मान रजि अल्लाह ताला अन्हा की खिलाफत में इस्लाम और अब से बाहर भी फैलता जा रहा था ईरान इंडोनेशिया अफ्रीका इसी तरह इंडिया तक फैल रहा था इसी दौरान जो गैर अरबी लोग थे क्योंकि अरब उनकी माधुरी जबान नहीं थी लिहाजा किरत करने में गलतियां कर रहे थे और अपने किरत के हिसाब से जैसा चाहे लिख रहे थे
लोगों ने उस्मान रजि अल्लाह ताला अनु से शिकायत की कि कुरान को अलग अलग तरीके से लोग पढ़ रहे हैं लिहाजा आप ने कहा कि जिसके पास भी लिखा हुआ कुरान है वह सब लाया जाए सारे नए लिखे कुरान के नुस्खे लाए गए उन सारे नुस्खों को आग लगाकर जला दिया गया
MEANING OF ALLAHU AKBAR ||MEANING OF AZAN IN HINDI
Aag lagane ka huqm is liye diya kyunki Allah ke Nabi (Sallallahu Alaihay Wasallam) ka wajeh irshade mubarak tha ke “kahi agar Quraan likhi hui hai tou usey faado mat, balki dafan karo ya usey aag laga do”
लिहाजा उन तमाम नए नुस्खों को जला दिया गया और फिर वह पहले नुस्खा मास्टर कॉपी जो हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अनु के मछुआरे पर बनाया गया था उसे हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अनु के घर से लाकर सहाबा से कहकर इस नुस्खे की साथ कॉपी बनाई गई.
क्योंकि आप की खिलाफत में इस्लामी हुकूमत के साथ स्टेट थे हर स्टेट के एक गवर्नर थे लिहाजा हर स्टेट को उस्मान रजि अल्लाह ताला अन्हा ने अपने खिलाफत की सेल मंगाकर 1-1 ओरिजिनल कॉपी रवाना कर दी
आज हम दुनिया में जितने भी कुरान के नुस्खे देखते हैं उसी कुरान ए मजीद की कॉपी से बनाए हुए हैं लेकिन उस पर सिर दबा नहीं थे आज के कुरान में जरूरत के हिसाब से शेर गब्बर लगाए गए हैं लेकिन इसको पढ़ने में कोई भी नयापन नहीं जो गुरूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जमाने में पढ़ने का तरीका था वही तरीका आज भी अपनाया जाता है कुरान एक ऐसी पाक साफ किताब है जो अल्लाह ताला की तरफ से मुसलमानों के लिए हिदायत का पैगाम लेकर आई है जो भी कुरान को सही तरीके से पड़ेगा वह हिदायत पा जाएगा अल्लाह तबारक व ताला ने इरशाद फरमाया कुरान को पढ़ो और समझ कर पढ़ो और फिर अमल करो फिर तुम्हारे लिए दुनिया बहुत ही आसान हो जाएगी इंशा अल्लाह
Quran me:Aqalmando ke liye Nasihate hai
कुरान में अक्लमंद के लिए नसीहत ही नसीहत है कुरान एक वाहिद ऐसी किताब है जिसे 4 साल का बच्चा भी हिप्स कर सकता है और 100 साल का बुजुर्ग भी अच्छी तरह याद कर सकता है दूसरी ऐसी कोई किताब नहीं जो कुरान है कुरान जैसी एक आयत भी बड़े-बड़े सुरमा भी नहीं ला पाए जो उस वक्त में खुदाई का दावा करते थे शर्मिंदा होकर रह गए और एक आयत भी ना ला पाए नबी करीम सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम से सवाल करने वाले हमेशा शर्मिंदा होकर रह गए और कुरान जैसा एक लफ्ज़ भी ना ला पाए हुजूर सल्ला वसल्लम कहते थे अगर यह मेरी बताई हुई हदीस या अल्लाह का कलाम यानी कुरान की आयत झूठी है तो तुम इसके जैसी एक ले आओ और वह बातें बनाते और शर्मिंदा होकर रह जाते कभी भी कोई भी एक आयत तो दूर की बात है एक लफ्ज़ भी नहीं ला पाए अल्लाह का कलाम यानी कुरान ए मजीद पार्क है पर हक है और जो भी इस पर अमल करेगा वह हक पर आ जाएगा क्योंकि यह हक वाली किताब है और यह इंसानों की रहनुमाई फरमाते है जो भी कुरान के बताए हुए रास्ते पर चलेगा वही फलa (success) paa जाएगा
अल्लाह तबारक व ताला ने कुरान में ही फरमाया है
“Aye Nabi (Sallallahu Alaihay Wasallam)! ye mubarak kitab hai jisey humne Aapki taraf iss liye nazil kiya ke log iski aayto par gaur kare aur aqalmand is se naseehat hasil kare.” (Surah Sad 38:29)
Quran ko samjhkar padhna
अल्लाह तबारक व ताला ने कुरान ए मजीद को समझ कर पढ़ने का हुक्म दिया और कुरान को छूने से पहले वुजु करना वाजिब है पहले बुजु करें उसके बाद कुरान को समझ समझ कर पढ़ें और दुआ करें इंशाअल्लाह आप की दुआ जरूर कबूल होगी अल्लाह ताला कुरान को पढ़कर की जाने वाली दुआ को कभी रद्द नहीं करता और उसे बहुत सारे इनाम से नवाजता है कुरान पढ़ने वाले को जन्नत में आला मकाम दिया जाएगा और उसे ऐसे ऐसे तोहफे दिए जाएंगे जिन्हें देखकर वह हैरान हो जाएगा कुरान की तिलावत लगातार सच्चे दिल से करने वाले को अल्लाह दुनिया की सारी बधाइयां भला या अता फरमा ता है और उसकी आखिरत भी सवार देता है.
नौवें सूरे को छोड़कर प्रत्येक सूरा बिस्मिल्लाह (بسم الله الرحمن الرحيم) के साथ शुरू होता है, जिसका अर्थ अरबी वाक्यांश है जिसका अर्थ है “अल्लाह के नाम से”।
Quran me Allah tala ne Kya bataya hai
कुरान में अल्लाह तबारक व ताला ने पिछले nabiyo के बारे में बताया है और उन्होंने किस तरीके से अल्लाह के Deen को लोगों में पहुंचाया है और किस तरह अपने नबी की बात ना मानने पर उस उम्मत पर नबियों के कहने पर अल्लाह ताला ने उस उम्मत पर Azab नाजिल फरमाया और बीवी मरियम के बारे में भी बताया है कि कैसे वह बिना शादी के ईशा अली सलाम की वालिदा बनी अल्लाह चाहे कुछ भी हो सकता है और उन्हें किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ा
और बताया है हक पर चलने की सही राह चोरी का क्या सजा है झूठ बोलने की क्या सजा है इंसान को कैसे जिंदगी गुजारना चाहिए दुनिया और आखिरत की तैयारी कैसे करनी चाहिए और जन्नत की बशारत भी दी गई है कुरान में ही बताया गया है कि जन्नत में बाग हैं और नेहरे रवा हैं और हांरे (HURE) हैं और आबे कौसर है और अच्छे आमाल वालों को जन्नत है और बुरे आमाल वालों को जहन्नुम है कुरान एक हिदायत की किताब है जो कोई भी इसे सही ढंग से समझ कर पड़ेगा इंशा अल्लाह हिदायत पा जाएगा और दुनिया और आखिरत में उसके लिए भलाई ही भलाई होगी क्योंकि अल्लाह ताला ने जो भी कहा है वह बर हक है और हमारे आका मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने कुरान के जरिए हमें अल्लाह की हर बात बता दी है कि हमें कैसे जिंदगी जीनी है और कैसे आखिरत की तैयारी करनी है कैसे नमाज कायम करनी है और कैसे अल्लाह को पा लेना है क्योंकि जो बंदा नमाज में होता है .
वह अल्लाह के सामने होता है और उससे जो मांगता है अल्लाह उसे अता फरमा आता है या अल्लाह हमें कुरान सही ढंग से पढ़ने की समझ कर पढ़ने की और QURAN पर कुरान पर अमल करने की तौफीक अता फरमा या अल्लाह हम से लिखने में पढ़ने में जो भी गलती हुई हो या अल्लाह अपने हबीब मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला वसल्लम के SADQE उसे माफ फरमा हमें पता है माफी मांगने वालों को पसंद फरमाता है तू हमें माफ जरूर करेगा इंशा अल्लाह तबारक व ताला
Tu Rahim hai tu Karim hai two rahmatul Lil alameen hai तू इन प्यारे नामों के साथ थे हमें माफ फरमा और हम सब मुसलमानों को कुरान की तालीम सही ढंग से समझ कर लेने की टॉफी तौफीक अता फरमा तू हमारा रब है तुझसे ना मांगे तो और किससे मांगे तू हमें देने वाला है और हम मांगने वाले या अल्लाह हमारी तमाम दुआओं को कुबूल फरमा और कुरान की तिलावत करने वाला बना आमीन या रब्बुल आलमीन
Quran or SCIENCE
ऐसा कहा जाता है कि कुरान एक वैज्ञानिक पुस्तक है, काफी विशेषज्ञों ने इस बात को जांचा परखा और माना है। जो आविष्कार विज्ञान आज के युग में करता आ रहा है, वह सभी चीजें कुरान में पहले से ही दर्ज है/लिखी हुई है। (नीचे दिए गए यह सभी तथ्य वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध पर आधारित हैं)
? जीवन की शुरुआत- वैज्ञानिक कहते हैं कि जीवन की शुरुआत पानी से हुई और कुरान में भी यही लिखा हुआ है कि पानी ही जीवन का स्त्रोत है।
? सूर्य और ग्रहों का इर्द-गिर्द घूमना भी कुरान में दर्ज है।
?मानव मस्तिष्क का विकास 40 की उम्र में रुक जाता है, यह तथ्य भी कुरान में दर्ज है।
? महिला की बच्चादानी में भ्रूण के विकास का क्रम भी कुरान में गहराई से बताया गया है।
? हर व्यक्ति के उंगलियों के निशान/फिंगरप्रिंट अपने आप में अनोखे होते हैं, पृथ्वी पर किसी दूसरे इंसान से नहीं मिलते हैं, यह बात भी कुरान में दर्ज है।
Islam or Quran ke Hukm
कुरान में दी गई कुछ महत्वपूर्ण सिख जो हमें ज़रूर जनना और जीवन में उतारना चाहिए –
? अपने आसपास सभी के साथ मुहब्बत/ प्यार से रहो
? मां-बाप की इज्जत करो अगर उनके द्वारा तकलीफ पहुंचती है तो उफ्फ तक ना करें, उसका बदला या इनाम आपको दुनिया में और मृत्यु के बाद, दोनों में मिलेगा।
? ध्यान रखें कि आपका पड़ोसी भूखा ना सोए, वरना मुस्लिम होने के तौर पर यह आपकी हार होगी।
? किसी बेकसूर का कत्ल ना करें।
?बिना वजह थोड़ा सा भी पानी ना फेंको
? जो भी आपको इस पृथ्वी पर इस जीवन में दिया गया है, उस पर ईश्वर का धन्यवाद कहें, कमियां ना निकाले। जितना ज्यादा धन्यवाद कहेंगे, उतना अधिक अल्लाह/ईश्वर कृपा करेंगे और कमी निकालने पर छीन लेंगे।
?औरत पर्दे में रहे, अपने शरीर को ढककर रखें, खास तौर पर सिर का ढ़कना जरूरी है, चेहरे को ढ़कना जरूरी नहीं है।
? मर्द के लिए यह पर्दा है कि वह जब भी किसी aorat ke pass तो अपनी नजर नीची करके रखें।
? मां बाप को प्यार की नजर से देखना भी सवाब का काम है!
? हमारे कंधों पर फरिश्ते बैठे रहते हैं, जो कि अच्छे काम/नेकी को 10 गुना करके लिखते हैं तथा Allahई Tak पहुंचाते हैं और 4 गलतियों को एक गलती करके लिखते हैं।
?साफ सफाई को इस्लाम धर्म में आधा ईमान/भरोसा/विश्वास कहा जाता है तथा मुस्लिम को अपने शरीर की सफाई पर खास ध्यानतो अपनी नजर नीची करके रख
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